कोई तो है…

जिंदगी 

डॉ. शिखा अग्रवाल 


जब कंधे पर हाथ रख,
कोई हौले से कहता है
… मैं हूं ना,
जिंदगी मुस्कुरा देती है।

जब सालों बाद अचानक,
कोई नाम पुकारता है
… पहचाना मुझे?
जिंदगी महक जाती है।

जब मुश्किल वक्त में,
कोई हमराही बन कहता है
… आगे बढ़ो,
जिंदगी संवर जाती है।

जब आंसू हथेली में ले,
कोई पीठ सहलाता है
… सब ठीक होगा,
जिंदगी हसीन हो जाती है।

जब गले लगा कर,
कोई याद दिलाता है
… हम वही तो हैं,
जिंदगी फिर से मिल जाती है।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़ (चूरू) में सह आचार्य हैं)

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