दादा जी, माफ कर देना …

श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए थे। घर में बड़ी श्रद्धा से पितरों के लिए श्राद्ध किए जा रहे थे। उस दिन दादा जी के श्राद्ध पर सुबह से उनकी पसंद का खाना बन रहा था। सुरभि को बार – बार याद आ रहा था कि जब तक दादा जी

रेशमी धागे …

फोन पर जब भाभी ने बताया कि उसकी राखी अभी तक नहीं पहुंची है तो सुनयना का मन उदास हो गया। उसे तो राखी भेजे पंद्रह दिन हो गए। कुछ दिन पहले मम्मी की देखभाल को लेकर

पिता का साया…

आज सुबह जैसे ही उमा चाय पीने बैठी उसका मोबाइल बज उठा। भाभी का फोन देख कर उसे चिंता हुई। दो तीन दिन से भाई रमन की तबियत ठीक नहीं थी। फोन उठाते ही भाभी रो पड़ीं, ” उमा तुम्हारे भैया हमें छोड़ गए ” ‘ इतनी तो

स्त्री बदल रही है…

मकान को घर बनाती,
तीज-त्यौहार पर श्रृंगार करती,
चूड़ी पायल खनकाती,
घर को गुलजार करती,

बादल सा मन…

मन तो है बादल जैसा,
कभी हल्का, पंख लगा
उड़ता हुआ सा,
खुशियों के आकाश में

सोच का अंतर… 

लघु कथा  डॉ. शिखा अग्रवाल  मिसेज वर्मा की बेटी की शादी को 2 साल होने को आए। उन्हें सदा यही कहते सुना है, “मैंने तो कनु को कह रखा है,…

संकल्प…

“मैडम, रक्षाबंधन क्या होता है? मेरी कक्षा के लड़के कह रहे थे कि कल बहिनें उन्हें राखी बांधेगी। मुझे कौन राखी बांधेगा?” फुलवारी बाल आश्रम के सबसे छोटे बच्चे विकास ने दीप्ति से पूछा। पिछले साल अपने

बारिश के रूप…

तेज गर्मी के बाद आज आकाश में काले घने बादलों का दिखना सबको सुकून दे रहा था और हर कोई बारिश की बूंदों का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। इस बार पड़ी भीषण गर्मी और लू ने इंसान,जीव जंतु और पेड़ पौधों सबका

वट वृक्ष…

बचपन में कंधों पर घुमाते,
हर छोटी बड़ी फरमाइश को
पूरा करते पिता

इंसानियत…

इस वर्ष कुछ ज्यादा ही भीषण गर्मी पड़ रही थी। सुबह से ही नलों में गरम पानी आ रहा था। शालिनी ने जब सूरज को आग उगलते देखा तो गर्मी से बचाव के उपाय में