याद पुरानी…

कुछ उधड़े रिश्ते सी लें
कुछ याद पुरानी जी लें।
निष्फिक्र गांव- घर जाने

सशक्त महिला…

महिला दिवस मनाने के लिए महिलाएं कॉलोनी के पार्क में इकट्ठा हो गईं थीं। इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण, सशक्त महिला के रूप में, कॉलोनी की किसी महिला

धूप की गोलियां

“क्या बात है बेटा, बहुत थकी हुई लग रही हो। सब ठीक है ना, हो सके तो कुछ दिन के लिए घर आ जाओ” नौकरी के कारण, महानगर में रह रही

एक नया प्रश्न…

“हमारी बेटियां भी बराबर की पढ़ी लिखी और वर्किंग हैं। अब घर में पति की मारपीट और अत्याचार नहीं सहेंगीं। बेटियों को न्याय दिला कर

फिर से रावण खड़ा हो गया…

अट्टहास कर दस शीशों से,
फिर से रावण खड़ा हो गया,
मारो जितना मार सको तुम,

टिम टिम करते तारे…

“मम्मा, ये लिटिल स्टार्स कैसे ट्विंकल करते हैं दिखाओ ना” ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पोयम याद करते हुए सिया ज़िद कर रही थी। दो साल की सिया को

मनमोहन, तुम जग रखवाले…

मनमोहन, तुम जग रखवाले,
दही- माखन को चुरा लिया,
मैया को अपने मुख भीतर

अब फुरसत से ही डरते हैं…

जब प्यारा बचपन बीता था,
तब खुश थे अब तो बड़े हुए,
मन की करने का जज्बा था,

साहिल की तलाश…

कभी फूल सा हल्का दिल भी,
पत्थर सा भारी होता है,
मनचाहे और अनचाहे में,

कोई तो है…

जब कंधे पर हाथ रख,
कोई हौले से कहता है
… मैं हूं ना,