बिना NET और PHD यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में ऐसे बनें प्रोफेसर, जारी हुई गाइड लाइन, जानिए इसकी 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली 

बिना NET और PHD के यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में प्रोफ़ेसर बनने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने गाइड लाइन जारी कर दी हैं। यदि आप भी इन गाइड लाइन को पूरा करते हैं तो अप्लाई करने का रास्ता आपके लिए खुला हुआ है। UGC इन गाइड लाइन को लेकर सुझाव भी मांगे हैं।

UGC के इस फैसले से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बनना हुआ और आसान, डिटेल में जानिए क्या हुआ फैसला

आपको बता दें कि अभी तक यूनिवर्सिटी और कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए नेट और पीएचडी होना जरूरी है। बिना इसके कोई भी प्रोफेसर नहीं बन सकता। लेकिन हाल ही में UGC से  प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इनकी जरूरत नहीं रह गई है। यानी अब बिना नेट और पीएचडी के भी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकेंगे। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को इसकी गाइड लाइन भी पब्लिक डोमेन में आ गईं

आयोग द्वारा जारी किए गए ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ ड्राफ्ट गाइडलाइंस में भर्ती के लिए योग्यता, कार्य और जिम्मेदारियां, सेवा की शर्तें, चयन प्रक्रिया, अवधि, आदि को लेकर प्रस्तावित नियम/प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही, यूजीसी ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ ड्राफ्ट गाइडलाइंस में प्रस्तावित नियमों पर सभी स्टेकहोल्डर्स से उनकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों को आमंत्रित किया है। स्टेकहोल्डर्स अपने सुझाव यूजीसी द्वारा जारी की गई ईमेल आइडी PoPUGC2022@gmail.com पर 6 सितंबर 2022 तक  दे सकते हैं।

गाइलाइन की 10 बड़ीं बातें

  • विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम 15 वर्ष का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ पात्र होंगे।
  • इन क्षेत्रों में इंजीनियरी, विज्ञान, तकनीकी, उद्यमिता, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य, फाइन आर्ट्स, सिविल सेवा, सशस्त्र बल, लोक प्रशासन, लीगल, आदि शामिल हैं।
  • ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के लिए औपचारिक शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं होगी। साथ ही, आवश्यक लेख/शोध कार्य प्रकाशनों की भी बाध्यता नहीं होगी।

 

  • हालांकि, इन विशेषज्ञों में सम्बन्धित क्षेत्र के लिए जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जरूरी स्किल होना चाहिए।
  • ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती निश्चित अवधि के लिए होगी। यह आरंभ में एक वर्ष के लिए होगी। इस अवधि को संस्थान अपनी आवश्यकता और उम्मीदवार के प्रदर्शन के आधार पर आगे बढ़ा सकेंगे। सेवा की कुल अवधि अधिकतम तीन वर्ष होगी, जिसे अपवाद स्थिति में एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा। कुल अवधि किसी भी स्थिति में चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती संस्थान के लिए अनुमोदित पदों की कुल संख्या से अलग होगी। नियमित फैकल्टी मेंबर्स की संख्या इस भर्ती से नहीं बदलेगी।

 

  • ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ भर्ती टीचिंग प्रोफेशन में सेवारत या सेवानिवृत्त फैकल्टी के लिए नहीं है।
  • ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती तीन कटेगरी में हो सकती है – उद्योग द्वारा पूजी प्राप्त, संस्थान के अपने संसाधनों से और ऑनररी बेसिस पर।