UGC के इस फैसले से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बनना हुआ और आसान, डिटेल में जानिए क्या हुआ फैसला

नई दिल्ली 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के एक फैसले से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बनना और आसान हो गया है। दरअसल UGC ने हाल ही में सम्पन्न अपनी बैठक में एक अहम फैसला लेते हुए प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब युवा बिना अकेडमिक डिग्री भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बन सकेंगे।

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आपको बता दें कि अभी तक यूनिवर्सिटी और कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए नेट और पीएचडी होना जरूरी है। बिना इसके कोई भी प्रोफेसर नहीं बन सकता। लेकिन अब प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इनकी जरूरत नहीं रह गई है। यानी अब बिना नेट और पीएचडी के भी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकेंगे। इसके लिए  UGC ने मानक तय किए हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बाद यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू की है। अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट बिना NET  और PhD के बतौर प्रोफेसर दो साल तक क्लास ले सकेंगे। इसमें म्यूजिक, नृतक, इंडस्ट्री और सोशल वर्कर समेत अन्य क्षेत्रों को एक्सपर्ट शामिल किए जाएंगे। आईआईटी और आईआईएम में पहले से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू है। इसके तहत इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञ देश के इन सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं।

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इन नियमों में भी बदलाव
ऑटोनॉमस कॉलेज यानी स्वायत्त कॉलेज (Autonomous College) का दर्जा देने के नियमों में बदलाव किया गया है। अभी तक यूजीसी की टीम निरीक्षण के आधार पर कॉलेजों को स्वायत्त होने का दर्जा देती है। लेकिन नए नियम के तहत यूजीसी की टीम अब निरीक्षण नहीं करेगी। नैक  (National Assessment and Accreditation Council) की टीम छह मानकों पर कॉलेजों की जांच करेगी, उसी के आधार पर उन्हें स्वायत्त का दर्जा मिलेगा। वहीं, अब स्वायत्त कॉलेज का दर्जा पांच की बजाय 10 साल तक मान्य रहेगा?

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