रेलवे में बड़ा बदलाव, अब कर्मचारी लिखेंगे अपने अफसरों की CR, दायरे में आएंगे 20 हजार अफसर, यहां डिटेल में समझिए नई व्यवस्था

नई दिल्ली 

रेलवे में अंग्रेजों के ज़माने से चली आ रही एक व्यवस्था में बड़ा बदलाव कर दिया है। इससे रेलवे के अफसरों में बेचैनी बढ़ गई है। नई व्यवस्था से रेलवे के करीब बीस हजार अफसर प्रभावित होंगे। इस बदलाव के बाद रेलवे के कई निकम्मों अफसरों को पोल खुलेगी और फिर उन पर गाज गिर सकती है। रेल मंत्रालय उनको नौकरी छोड़ने को भी कह सकता है।

आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। पिछले एक साल में रेलवे के कई अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। दरअसल रेलवे ने डेटाबेस सिस्टम एचआरएमएस यानी ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम को रेल मंत्री की इसी बात को ध्यान में रखकर अपग्रेड करते हुए यह आदेश निकाला है। जिसके बाद अब  सत्र 2022-23 से कर्मचारी भी अपने अफसरों की सीआर लिख सकेंगे और रिमार्किंग भी करेंगे। यह कदम उठाने वाला रेलवे केंद्र सरकार के अधीन आने वाले दफ्तरों में पहला विभाग होगा, जहां कर्मचारियों को अपने अफसरों का  गोपनीय प्रतिवेदनयानी CR भरने को कहा गया  है।

अफसरों को पता नहीं चल पाएगा कि कर्मचारियों ने क्या लिखा 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस नई व्यवस्था का लिंक कर्मचारियों को जल्द ही मिलेगा। CR भरने के नए सिस्टम को इस तरह तैयार किया गया है कि कर्मचारियों ने क्या लिखा; इस बारे में अफसरों को पता नहीं चल पाएगा। रेल मंत्रालय ने वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखने की सालों से चली आ रही परंपरा में इसलिए बलाव किया है ताकि मल्टी सोर्स फीडबैक सिस्टम प्रभावी बन सके। डेटाबेस बनने के बाद सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को लिंक दिया जाएगा, जिससे वे स्पेरो सिस्टम (इलेक्ट्रानिक एनुअल परफार्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट) में अपना रिमार्क दर्ज करेंगे।

कर्मचारियों को प्रताड़ित नहीं कर पाएंगे अफसर
इस नई व्यवस्था के लागू हो जाने से अफसर अब मातहत कर्मचारियों को किसी तरह से प्रताड़ित नहीं कर सकेंगे। वहीं गोपनीय प्रतिवेदन खराब करने का डर दिखाकर निजी या नियम विरुद्ध काम करवाने की अघोषित प्रथा भी बंद हो जाएगी, क्योंकि अधिकारियों को भी अपनी सीआर खराब होने का डर बनेगा।

निकम्मे अफसरों पर गिरेगी गाज, बीस हजार अफसर जांच के दायरे में
आदेशों के अनुसार प्रत्येक साल रिपोर्टिंग प्राधिकारी और संबंधित सभी अधीनस्थों को एक लिंक भेजा जाएगा। प्रस्तुत फीडबैक को अधिकारी के डेटा बेस में गुमनाम रूप से दर्ज किया जाएगा। फीडबैक की जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। फीडबैक दर्ज होने के बाद तीन या चार सदस्यीय समिति तय करेगी कि अधिकारी को पदोन्नत किया जाना चाहिए या नहीं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि अधिकारियों के लिए सिस्टम मौजूद है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि समिति के सदस्यों का मूल्यांकन कौन करेगा।

अधिकारियों के एक वर्ग का कहना है कि एपीएआर प्रणाली से न केवल भारतीय रेलवे में कार्य संस्कृति में फर्क पड़ेगा बल्कि कुछ अधिकारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) भी होगी। या फिर निकम्मे और भ्रष्ट अफसरों को नौकरी से निकला जाएगा। इस एपीएआर के लिए करीब 20,000 अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे।

360-डिग्री मूल्यांकन प्रणाली से मिली प्रेरणा
आपको बता दें कि साल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए 360-डिग्री मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत की थी। इसी मूल्यांकन प्रणाली से प्रेरित होकर भारतीय रेलवे ने भी अपने व्यवस्था में बदलाव किया है इस फैसले के अनुसार, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) एक विशेषज्ञ पैनल की प्रस्तुतियों पर आधारित है जो सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के अलावा अधिकारियों के पूर्ण सेवा रिकॉर्ड और पिछली सभी वार्षिक रिपोर्टों की समीक्षा करेगा। इस प्रक्रिया के तहत, विशेषज्ञों का एक पैनल उम्मीदवार के सहयोगियों – वरिष्ठ और कनिष्ठ सहित अन्य लोगों के विचार को शामिल किया जाता है।

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