आपके काम की है ये खबर: अब जल्दी ही पाइप लाइन से सीधे रसोई तक पहुंचेगी गैस, जानिए डिटेल

जयपुर 

ये खबर सबके काम की है। अब राजस्थान में जल्दी ही पाइप लाइन से सीधे आपकी रसोई तक गैस पहुंचेगी। इस दिशा में राज्य सरकार ने अपना कार्य और तेज कर दिया है। CM अशोक गहलोत के सलाहकार डॉ. गोविन्द शर्मा ने कहा कि प्लानिंग तैयार कर पाइपलाइन से घरेलू कनेक्शन देने वाली कंपनियों को टाइमबाउंड तरीके से इम्प्लीमेंटेशन के निर्देश सरकार ने दे दिए हैं। यहां डिटेल में समझिए क्या होगी इसकी प्रक्रिया और आपके शहर तक कब तक पाइप लाइन से पहुंचेगी गैस।

1187 CNG स्टेशन
सरकार की योजना अगले 8 साल में 96 लाख घरों तक पाइप लाइन से LPG गैस पहुंचाने की है। जयपुर शहर में इसकी शुरुआत मार्च 2023 से होगी। हाइवे पर सीएनजी पम्पिंग स्टेशन खोले जाएंगे। यहां लिक्वीफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) खाली की जाएगी। उसके बाद इस गैस को सिलेंडरों वाली गाड़ी में भर कर लाया जाएगा और गैस पाइप लाइन में डाला जाएगा। जब शहर में नेटवर्क पूरी तरह से चालू हो जाएगा तो सीएनजी स्टेशन से सीधे शहर की गैस पाइप लाइन को जोड़कर सप्लाई दी जाएगी। 1187 CNG स्टेशन लगाए जाएंगे। प्रदेश में अब तक 170 से ज्यादा CNG स्टेशन लगाए जा चुके हैं। राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहन सिंह ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार लगभग 230 इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल पाइप लाइन से गैस कनेक्शन भी जारी किए जा चुके हैं।

सरकार प्रमुख सड़कों, नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और अन्य रोड पर सीएनजी स्टेशंस के लिए जमीन आवंटन करेगी। जो कम से कम 1000 वर्ग मीटर होगी। राजस्थान सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क की गाइड लाइन के अनुसार यह काम होगा।

कनेक्शन का रजिस्ट्रेशन फ्री
कनेक्शन का रजिस्ट्रेशन फिलहाल फ्री होगा। राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड (RSGL) RSPCL और GAIL GAS लिमिटेड कंपनी की एक जॉइंट वेंचर कंपनी जो  घरेलू गैस कनेक्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करेगी। घरेलू उपभोक्ता, इंडस्ट्रीज़ और होटल रेस्टोरेंट को भी कनेक्शन दिए जाएंगे। इसका कॉरपोरेट ऑफिस जयपुर में फर्स्ट फ्लोर, कांजी भवन ,तिलक मार्ग, सी स्कीम पर है। रजिस्ट्रेशन फॉर्म ऑनलाइन rsgl.rajasthan.gov.in साइट पर उपलब्ध है। उपभोक्ताओं से कनेक्शन के लिए परमिशन ली जाएगी।

पैट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड ने राजस्थान के सभी 33 जिलों के लिए पाइप लाइन डालने के काम को ऑथराइज कर दिया है। जैसे जैसे अलग-अलग शहरों का नंबर आएगा उस आधार पर रजिस्ट्रेशन भी होते रहेंगे।

पहले इस्तेमाल फिर भुगतान
कनेक्शन मिलने पर उपभोक्ता पहले गैस का इस्तेमाल करेगा फिर भुगतान करेगा। अब तक सिलेंडर लेने के दौरान पहले भुगतान करना पड़ता है। अप्रूव्ड मीटर के जरिए गैस के मीटरिंग कर पानी – बिजली की तरह बिल आएगा। रजिस्ट्रेशन फ्री है , लेकिन तय सिक्योरिटी राशि 6000 रुपए किस्तों (EMI) में गैस बिल के साथ ली जाएगी। वह भी रिफंडेबल होगी।

हवा से हल्की एलपीजी, lpg से सस्ती पीएनजी png
उपभोक्ता के घर एलपीजी के स्थान पर पीएनजी (पाइप नेचुरल गैस) पहुंचाई जाएगी। यह सुरक्षित है तथा हवा से हल्की होने के साथ ही लीकेज आदि की अवस्था में हवा में उड़ जाएगी। जबकि एलपीजी भारी होने के कारण नीचे ही रह जाती है। सुरक्षा के लिए पाइप लाइन से लेकर रसोई गैस के चूल्हे तक तीन वॉल्व लगाए जाएंगे।

इन समस्याओं से मिल जाएगा छुटकारा
पाइप लाइन से जब आपकी रसोई तक गैस पहुंच जाएगी तो आपको कई समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा। भरकम सिलेंडर घर पर नहीं रखना होगा। एडवांस सिलेंडर बुकिंग, डिलीवरी का इंतजार और सिलेंडर चेंज करने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। गैस खत्म होने की चिन्ता भी नहीं सताएगी। पानी के नल कनेक्शन की तरह घर-घर गैस सप्लाई होगी।

इन चार शहरों में अगले साल रसोई तक पहुंच जाएगी गैस
प्रदेश के 20 शहरों में पाइपलाइन से गैस उपलब्ध कराने का काम चल रहा है। वर्क प्लान के मुताबिक 8 सालों में 37824 किलोमीटर गैस पाइप लाइन बिछाने का टारगेट है। फिलहाल अजमेर, पाली, राजसमंद में इसका प्रोसेस जारी है। मार्च 2023 से पहले जयपुर सहित अजमेर, पाली और राजसमंद में गैस पहुंचाने की योजना है।

हर जिले में बनेगी गैस कमेटी
हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में गैस कमेटी बनेगी। सड़कों पर पाइप लाइन डालने की मंजूरी के लिए कलेक्टर को डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर ऑथराइज किया गया है। कमेटी में  SP, निकायों के प्रमुख अधिकारी, प्राधिकरण या यूआईटी के सेक्रेटरी, जिला परिषद के CEO, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्रतिनिधि, सीएमएचओ या प्रमुख चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, PWD के सुप्रिडेंट इंजीनियर, बिजली वितरण कंपनी और जलदाय विभाग के SE को शामिल किया गया है। इसके सदस्य सचिव अतिरिक्त जिला कलेक्टर होंगे।

राज्य लेवल पर कमेटी के चेयरमैन UDH डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव होंगे। आवेदन के 30 दिन में अगर पाइप लाइन डालने की मंजूरी नहीं मिलती है, तो मामला स्टेट नोडल ऑफिसर देखेंगे। DGP भी कमेटी के सदस्य होंगे । स्थानीय निकाय निदेशक कमेटी के सदस्य सचिव होंगे।

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