High Court में अभूतपूर्व घटना: जब वकील अनुकूल आदेश के लिए पहुंच गया हाईकोर्ट जज के पास, फिर क्या हुआ; जानिए यहां

कोलकाता 

देश के एक हाईकोर्ट में एक दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व घटना हुई जिसमें वकील किसी केस में अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए जज के पास पहुंच गया और फिर इसके बाद जज ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केस से ही अपने को अलग कर लिया और देश के वरिष्ठ वकील को जब सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने भी इसे बहुत ही अफसोसजनक बताया और कहा कि वे फौरन इस मामले के ब्रिफिंग्स लौटा रहे हैं और इस घटना के बाद वे इस मामले में पेश नहीं होंगे।

मामला कलकत्ता हाईकोर्ट का है और इस घटनाक्रम का खुलासा भी केस की सुनवाई कर रहे खुद  न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ ने वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान किया और इस खुलासे के लिए भी उन्होंने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के पेश होने का इंतजार किया। एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ ने कहा कि एक पक्षकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने अनुकूल आदेश जारी करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उनसे संपर्क किया।

जस्टिस सराफ ने इस घटना को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हो रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को संकेत दिया कि गुमराह करने वाला वकील भी उसी पक्ष का है, जिसकी ओर से वह पेश हो रहे हैं।

वरिष्ठ वकील साल्वे ने पूरी घटना को ‘अप्रिय’ बताते हुए कहा कि वे फौरन इस मामले के ब्रिफिंग्स लौटा रहे हैं और इस घटना के बाद वे इस मामले में पेश नहीं होंगे। उन्होंने  साथ में यह भी  कि दुर्भाग्य से यह पहली बार नहीं है कि उन्हें भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाने वाली इस तरह की शिकायत के बारे में बताया जा रहा है। जज ने साल्वे के इस फैसले की सराहना भी की।

जस्टिस सराफ ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा, “इन दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण, मैं इस मामले से खुद को अपने निजी कारणों से अलग करता हूं।” न्यायाधीश ने खुद को मामले से अलग करते हुए टिप्पणी की कि मैं कलकत्ता उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हूं, न कि बिकाऊ लड्डू या भुजिया, जो आप खरीद लेंगे।

कोर्ट रूम लाइव
जस्टिस सराफ: “यह मेरा सौभाग्य होता अगर मैं आपको इस मामले में सुन पाता लेकिन हालात ऐसे हैं कि मैं कम से कम इस अवसर पर ऐसा नहीं कर पाऊंगा। मैं आपको बताता हूं कि मैंने क्यों और इंतजार किया… आपको पता है कि मैं चाहता था कि आप इस मामले में पेश हों और फिर मैं आपको सूचित करूं कि इस मामले में क्या हुआ है। मुझसे सीधे किसी ने संपर्क किया।

उस व्यक्ति ने मुझे संकेत दिया कि आप पेश होंगे… बेहद अफ़सोस… कोई आपके चैंबर में आता है और आपसे संपर्क करता है। मेरा मतलब है कि लोगों में इस न्यायालय के न्यायाधीशों या भारत भर के न्यायाधीशों के प्रति ऐसी धारणा है। मैं उस समय इतना चौंक गया कि और मैंने उस समय उसे कुछ नहीं कहा। मैं उसे बाद में टैप कर सकता था। वह कई मौकों पर मुझसे मिलना चाहता था लेकिन मैं नहीं मिला… मैं उससे दूर रहा। अगर वकील आते हैं और इस तरह हमें हमें भ्रष्ट करने की कोशिश करते हैं यह बहुत मुश्किल हो जाता है।”

साल्वे: “यह अप्रिय है… माई लॉर्ड यह सबसे खराब बात है… यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा किया जा रहा है… भारी मन से मुझे कहना होगा कि यह पहली बार नहीं है जब मैंने इस तरह की शिकायत सुनी है। माई लॉर्ड को इस मामले को नहीं सुनना चाहिए और मैं इस मामले में पेश नहीं होऊंगा।”

जस्टिस सराफ:
“यह आपकी अच्छी सोच और बुद्धिमानी है, जो सराहनीय है .. इंडियन बार के एक प्रमुख का उपयोग करके आप एक आदेश को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं।”

साल्वे: “यह अप्रिय है… माई लॉर्ड को इस मामले को छोड़ देना चाहिए। मैं इसके ब्रीफ वापस कर दूंगा।”

जस्टिस सराफ: “मैं आपको बाद में बताऊंगा कि वह व्यक्ति कौन है। मुझे उम्मीद है कि मुझे एक और मौका मिलेगा… हम भाग्यशाली हैं कि इस वर्चुअल कनेक्टिविटी के कारण हमें आपको सुनने का अवसर मिलता है। फिर से आइए, मेरे सामने फिर से पेश होने के अवसर के लिए प्रयास करें।”

साल्वे: “यह मेरा सौभाग्य है..मैं इसके लिए तैयार हूं।”
इसके बाद, न्यायाधीश मामले की सुनवाई से अलग हो गए।

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