वसुंधरा राजे को नहीं मिलेगी राजस्थान की कमान! प्रेशर पॉलिटिक्स से केंद्रीय नेतृत्व नाराज

नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो 

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आगामी विधानसभा चुनाव में राजस्थान की कमान नहीं सौंपी जाएगी केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े पार्टी के एक विश्वस्त सूत्र ने शुक्रवार को ‘नई हवा’ को यह जानकारी दी ‘नई हवा’ ने पार्टी के इस वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता से पूछा था कि क्या राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा? तो उनसे इसका चार शब्दों में तपाक से एक ही जवाब मिला ‘कोई सवाल ही नहीं

पार्टी सूत्रों ने बताया कि वसुंधरा राजे को हाल ही चार राज्यों में भाजपा की विजय के बाद अब साफ़ तौर पर ये समझ जाना चाहिए कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं संगठन पर हावी नहीं होने दी जाएंगी। पार्टी सूत्र ने यह माना कि राजस्थान में वसुंधरा राजे सबसे बड़ी और कद्दावर नेता हैं, लेकिन जिस तरीके से वे बार-बार प्रेशर पॉलिटिक्स खेल रही हैं, वह उचित नहीं है। हाल के चुनाव नतीजों के बाद उनको समझ जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि UP, उत्तराखंड और गोवा में पार्टी लाइन से हटकर प्रेशर पॉलिटिक्स खेलने वाले नेताओं के आगे केंद्रीय नेतृत्व नहीं झुका था और बाद में चुनाव नतीजे आए तो उन सभी का बुरा हश्र हुआ।

सूत्रों का कहना था कि वसुंधरा राजे को पार्टी ने खूब दिया है। दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उनके बेटे दुष्यंत को सांसद बनाया है। सूत्र का कहना था कि वसुंधरा राजे को अब नए लोगों को आगे आने देना चाहिए और पार्टी के विस्तार में जुटना चाहिए। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा खेमे को साफ संकेत दे चुका है कि वह किसी भी खेमे की प्रेशर पॉलिटिक्स के आगे नहीं झुकेगा। चाहे वह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह हों या वसुंधरा राजे।

वसुंधरा राजे नहीं मानीं तो?
पार्टी के इस वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता से सवाल था कि वसुंधरा राजे नहीं मानीं तो पार्टी क्या करेगी? इस पर उनका कहना था वसुंधरा राजे बहुत ही परिपक्व नेता हैं, मान जाएंगी। या मना ली जाएंगी। दिसम्बर में हिमाचल और गुजरात विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व तब तक इन्तजार करेगा।

नया चेहरा ला सकती है भाजपा
सूत्रों ने यह भी बताया कि वसुंधरा राजे और राजे विरोधी दोनों खेमों को एक जाजम पर बैठाकर  चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी और इस गुटबाजी का रास्ता निकाला जाएगा। ये भी हो सकता है कि दोनों खेमों से हट कर कोई नया चेहरा ही चुनाव नतीजों के बाद सामने लाया जाए। सूत्रों ने बताया कि लेकिन ये तय है कि इस बार पार्टी राजस्थान में किसी चेहरे को सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसी स्थति में मोदी ही पार्टी का चेहरा होंगे।

दो नावों पर पर रखने वाले परेशान
इस बीच राजस्थान भाजपा में जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक उन नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी कमी नहीं है जो दो नावों में पैर रखकर चल रहे हैं। इन नेताओं और कार्यकर्ताओं की परेशानी ये है कि पार्टी ने अभी किसी भी गुट के नेता को राजस्थान में सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है। ऐसे में वे जाएं तो किधर जाएं? इसलिए जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के ये कार्यकर्ता और नेता वसुंधरा राजे और राजे विरोधी दोनों खेमों को ही खुश करने में लगे हैं। हाजरी लगा रहे हैं।

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