नई दिल्ली
देश में वकीलों की सबसे बड़ी संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने फर्जी मोटर बीमा दावे दायर करने वाले 28 वकीलों को कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया है। (BCI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह एक्शन लिया है। BCI ने प्रदेश बार काउंसिल को इन वकीलों के नाम भेज कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ तीन महीने में जांच करने और रिपोर्ट भेजने के भी निर्देश दिए हैं।
मामला उत्तरप्रदेश का है। उत्तर प्रदेश के 28 वकीलों द्वारा फर्जी मोटर बीमा दावे दायर करने का मामला सामने आने के बाद इसकी जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) को सौंपी थी, जिससे बीमा कंपनियों को 300 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगने से बच गई। विभिन्न बीमा कंपनियों ने अलग-अलग अदालतों में फर्जी बीमा दावे का आरोप लगाते हुए मामले दर्ज किए थे।
2015 में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने आया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने सात अक्तूबर 2015 को प्रदेश सरकार से एसआईटी गठित कर जांच करवाने के आदेश दिए थे। उत्तर प्रदेश में फर्जी मोटर बीमा दावा दायर करने के फर्जीवाड़े की जांच छह साल से एसआईटी कर रही है।
बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वकीलों का निलंबन किया है। वकीलों के नाम प्रदेश बार काउंसिल को भेजकर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ तीन महीने में जांच करने और रिपोर्ट बीसीआई को भेजने के भी निर्देश हैं। सभी मामलों की सुनवाई पूरी होने तक निलंबित रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में पांच अक्तूबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने पाया था कि SIT ने यूपी के जिलों में जो 92 मामले दर्ज किए हैं, उनमें से 55 में 28 वकीलों के नाम शामिल हैं। इनमें से 32 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है, अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल किए जा चुके हैं। पीठ ने सुनवाई के दौरान वकीलों पर कार्रवाई न होने पर गहरी नाराजगी भी जताई थी।
प्रदेश काउंसिल से सहयोग नहीं
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी बार काउंसिल की मदद नहीं मिल रही है। इस पर पीठ ने एसआईटी को फर्जीवाड़े में शामिल वकीलों के नाम सीधे बीसीआई को भेजने के निर्देश दिए। एसआईटी ने उसी दिन ई-मेल से नाम उपलब्ध करा दिए। 19 नवंबर को बीसीआई ने वकीलों को निलंबित कर दिया।
1376 फर्जी दावे, जांच महज 250 की
एसआईटी गठन के बाद 1376 संदिग्ध दावों की शिकायत आई। अब तक महज ढाई सौ की जांच पूरी हो पाई है।
मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण एवं कामगार मुआवजा कानून के तहत बीमा कंपनियों व अलग-अलग अधिकरणों ने कुल 233 दावों को संदिग्ध या फर्जी पाते हुए 300 करोड़ रुपए से अधिक के दावे खारिज किए।
फर्जी दावों के सबसे अधिक 12 मामले सहारनपुर में दर्ज हैं। मेरठ में नौ, मुरादाबाद सात, अलीगढ़ छह, गाजियाबाद-हापुड़ पांच-पांच, रायबरेली में तीन, इटावा व लखनऊ में दो-दो, अयोध्या, मैनपुरी, मुजफ्फरनगर व उन्नाव में एक-एक मामले दर्ज हैं।
एफआईआर में हैं ये वकील
- सहारनपुर : इंदरसिंह गौतम, देशराजसिंह गौतम, रवि कुमार, सुधीर कुमार, जय सिंह, हेमंत कुमार खनिजो, अहबाब हसन।
- अलीगढ़ : महेंद्र पाल सिंह, राकेश कुमार, कमल कुमार।
- रायबरेली : संतोष कुमार निगम, सुशील कुमार त्रिपाठी।
- मेरठ : चमन लाल, विकास सिंह, अरविंद सिंह भाटी, मोहम्मद रगीब।
- मुजफ्फरनगर : निशुकांत शर्मा, मनोज।
- इटावा : अजय सिंह, अतुल कुमार दीक्षित, अनिल कुमार गौड़।
- गाजियाबाद : बलराम सिंह यादव, मोहन पाल रावत।
- लखनऊ : अमित सोनकर, राजेश कुमार।
- कानपुर : आशीष गर्ग।
- हरिद्वार : श्रवण कुमार।
- इसके अलावा, एक राकेश कुमार का नाम है, जिसके पते की पुष्टि अबतक एसआईटी नहीं कर पाई है।
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