जोधपुर
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को एपीओ (Awaiting Posting Orders) करने को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बिना लिखित कारण बताए एपीओ नहीं किया जा सकेगा। अदालत ने इस फैसले के साथ ही सरकार को मुख्य सचिव के माध्यम से नए प्रशासनिक आदेश जारी करने का निर्देश भी दिया है।
हाईकोर्ट ने क्यों सुनाया यह बड़ा फैसला?
राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश अरुण मोगा की एकल पीठ ने डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, डॉ. मांगीलाल सोनी और लक्ष्मीनारायण कुम्हार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि –
✅ कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी बिना लिखित कारण बताए एपीओ नहीं किया जा सकता।
✅ एपीओ आदेश की अवधि 30 दिनों से अधिक नहीं होगी।
✅ सरकार एपीओ को तबादले या दंड के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकती।
✅ राजस्थान सेवा नियमों के तहत केवल 7 विशेष परिस्थितियों में ही एपीओ आदेश जारी किया जा सकता है।
✅ एपीओ आदेश जारी करते समय स्पष्ट कारण, सीमाएं और प्रशासनिक जवाबदेही तय करनी होगी।
क्या था मामला?
🔹 जोधपुर के बीसीएमओ डॉ. दिलीप सिंह चौधरी को बिना कारण बताए फरवरी 2024 में एपीओ कर दिया गया था।
🔹 उनके स्थान पर एक 3 साल जूनियर डॉक्टर को नियुक्त कर दिया गया।
🔹 इस फैसले को चुनौती देते हुए डॉ. चौधरी हाईकोर्ट पहुंचे।
🔹 कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कड़ी फटकार लगाई और सभी एपीओ आदेश निरस्त कर दिए।
सरकार का बचाव नहीं आया काम
सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि एपीओ आदेश जनहित और प्रशासनिक आवश्यकता के तहत जारी किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि एपीओ आदेश मनमाने तरीके से जारी नहीं किए जा सकते।
अब सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ीं
हाईकोर्ट के इस फैसले से सरकार के लिए अब मनमाने तरीके से कर्मचारियों को एपीओ करना आसान नहीं होगा।
✔ अब हर एपीओ आदेश में लिखित कारण बताना होगा।
✔ 30 दिनों से अधिक समय तक एपीओ रखने के लिए वित्त विभाग की मंजूरी लेनी होगी।
✔ किसी भी कर्मचारी को सजा देने या ट्रांसफर की जगह एपीओ का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
अब क्या होगा?
मुख्य सचिव को अब हाईकोर्ट के इस आदेश के तहत नया प्रशासनिक आदेश जारी करना होगा, जिससे सभी सरकारी विभागों को इस नियम का पालन करना होगा। यह फैसला प्रदेशभर के हजारों सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए राहत भरा है।
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