Bharatpur News: गम्भीर नदी के पानी में भरतपुर का हिस्सा तय हो, जल संसाधन मंत्री को लिखा पत्र

भरतपुर 

गम्भीर नदी (Gambhir river) पर बने पांचना बांध (Panchana Dam) की ऊंचाई बढ़ाई जाने के कारण इस नदी में पानी आना बंद हो गया है, जिसकी वजह से वर्षों से ये नदी सूखी रहने के कारण क्षेत्र में कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। किन्तु इस वर्ष पांचना बांध में अधिक आने के वजह से नदी में बिना सूचना दिए पानी छोड़ दिया, जिससे नदी के आसपास के गांव जलमग्न हो गए और खरीफ की फसल खराब हो गई। पूर्व सांसद पंडित रामकिशन, समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता और भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री गिरधारी तिवारी ने संयुक्त रूप से राज्य के जलसंसाधन मंत्री सुरेश रावत को पत्र लिख कर मांग की है कि इस नदी में प्रतिवर्ष नियमित पानी आने के लिए भरतपुर जिले का हिस्सा तय किया जाए और पांचना बांध से बाणगंगा नदी को जोड़ा जाए।

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पत्र में बताया गया कि कि गम्भीर नदी में आनेवाली बाढ़ की रोकथाम के लिए करौली के पास पांचना बांध का निर्माण कराया गया, उस समय इसकी भराव क्षमता 685 एमसीएफटी तय की गई। लेकिन बाद में इसकी ऊंचाई बढ़ा दी गई और भराव क्षमता 2100 एमसीएफटी कर दिया गया। जिसकी वजह से इस नदी में आने वाला पानी बंद हो गया। पानी की आवक बंद होने के कारण इस नदी के आसपास के गांवों का भू-जल स्तर नीचे चला गया।

वहीं दूसरी ओर इस नदी के माध्यम से केवलादेव नेशनल पार्क को मिलने वाला पानी भी बंद हो गया। एक बार ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि यूनेस्को ने इस पार्क को डेन्जर लिस्ट में डालने का फैसला कर लिया, लेकिन किसी तरह चम्बल पेयजल योजना व गोवर्धन कैनाल से पानी लाकर विश्व धरोहर को बचा लिया। पांचना बांध से आने वाले पानी में बहुतायत में मछली व अन्य जल जीव आते हैं जो पक्षियों के भोजन के रूप में काम आते है।

पत्र में कहा गया  कि जब पांचना बांध में इस वर्ष क्षमता सेअधिक पानी आया तो बिना सूचना दिए गंभीर नदी में पानी छोड़ दिया, जिससे नदी के आसपास के गांवों में बाढ़ जैसी हालत हो गई और खरीफ की फसल खराब होने के कारण किसानों का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ तथा जन व धन की हानि हुई। इसी प्रकार प्रतिवर्ष इस नदी में पांचना बांध से पानी छोड़ा जाए तो किसानों को काफी लाभ मिलेगा और क्षेत्र में कृषि उत्पादन बढ़ कर कई गुना हो जाएगा।  इसके लिए जरूरी है कि गंभीर नदी के पानी में भरतपुर का हिस्सा तय किया जाए। जिससे नदी में नियमित रूपसे पानी आ सके।

पत्र में बताया गया कि बाणगंगा नदी में जगह-जगह बने एनीकट के कारण इस नदी में वर्षो से पानी नहीं आ रहा है। ऐसी स्थिति में पांचना बांध के पानी को गंभीर नदी के रास्ते ऊलूपुरा और कमालपुरा के पास डाला जाए, जिससे सूखी पड़ी ये नदी पुर्नजीवित हो सके। बाणगंगा नदी में पानी आने से इस नदी के 40-50 किमी क्षेत्र में भू-जल स्तर बढ़ जाएगा और किसानों को सिंचाई व पेयजल के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो जाएगा।

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