जयपुर
राजस्थान (Rajasthan) में गैर RAS सेवा से IAS में पदोन्नति का रास्ता अब साफ हो गया है। इस लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद (RAS Association) और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया और गैर RAS सेवा से IAS में पदोन्नति पर तीन साल पहले लगी रोक को हटा दिया। RAS एसोसिएशन ने अपनी याचिका में गैर RAS सेवा से IAS में पदोन्नति का विरोध किया था। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद पर यह कहते हुए पांच लाख रुपए का हर्जाना भी लगा दिया कि उसने अदालत का समय बर्बाद किया।
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यह फैसला जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। RAS एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा था कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट व उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। केवल अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली। पूर्व में गैर आरएएस से पदोन्नत हुए आईएएस का पद खाली होने पर राज्य सरकार इस पद को गैर आरएएस को ही पदोन्नत कर भरती है। ऐसे में राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती। यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए पदोन्नति के पदों पर भी अतिक्रमण याचिका के बाद कोर्ट ने गैर आरएएस सर्विस से IAS में प्रमोट करने की नियम पर रोक लगा दी थी। अब इसी याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आया है।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने RAS एसोसिएशन की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार आरएएस के अलावा दूसरी सेवाओं के भी विशेषज्ञों की भी सेवाएं लेना चाहती है। इसके अलावा याचिका में दूसरी सेवाओं से आने वाले कार्मिकों की योग्यता को चुनौती नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता एसोसिएशन चाहती है कि सिर्फ उनके संगठन के सदस्य ही आईएएस पदों पर पदोन्नत हो। याचिका में रोक के चलते पिछले करीब तीन साल से गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने इस याचिका को व्यक्तिगत हितों के लिए बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कोर्ट का समय भी बर्बाद किया गया। ऐसे में एसोसिएशन पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि आरएएस एसोसिएशन की ओर से लगाई याचिका से लगता है कि यह केवल निजी स्वार्थ के चलते लगाई गई है। केवल इस आशंका से कि इन्हें प्रमोशन के अवसर कम मिलेंगे; इस आधार पर यह याचिका लगाई गई है।
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