जयपुर
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने अपने एक फैसले में साफ किया कि यूनिवर्सिटी (University) के कर्मचारी राज्य कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते। लिहाजा उन पर सरकारी आदेश लागू नहीं होते। यह फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने दो असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) की उन याचिकाओं को खारिज करते हुए सुनाया जिसमें उनके तबादलों को चुनौती दी गई थी। यह आदेश जस्टिस समीर जैन की अदालत ने सुनाया।
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ये है पूरा मामला
दरअसल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोबनेर के असिस्टेंट प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह और बद्रीनारायण ने हाईकोर्ट में अपने तबादला आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि प्रदेश में तबादलों पर बैन है। राज्य सरकार ने 3 जनवरी 2024 के आदेश से प्रदेश में तबादलों पर बैन लगा रखा है। जबकि सरकार का कहना था कि ने यह आदेश प्रदेश के सभी राज्य अधिकारी, कर्मचारी, बोर्ड, कॉरपोरेशन और स्वायत्तशासी संस्थाओं पर लागू होगा। यूनिवर्सिटी ने 23 अक्टूबर को राजेन्द्र सिंह का अलवर के किशनगढ़बास और बद्रीनारायण का नीमकाथाना में तबादला कर दिया था। जिसे याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में चुनौती दी थी।
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने ये दी दलील
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने मामले में दलील दी कि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की स्थापना विधानसभा से पारित एक्ट के तहत हुई है। यूनिवर्सिटी के अपने रूल्स एंड रेगुलेशन हैं। इसलिए यूनिवर्सिटी पर सरकार के आदेश लागू नहीं होते। यूनिवर्सिटी ने कहा कि एक्ट का सेक्शन-40 कहता है कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी को जो वित्तीय सहायता देती है; केवल उसके चैक-बैलेंस का हिसाब रख सकती है। उसके अलावा राज्य सरकार का यनिवर्सिटी पर कोई नियंत्रण नहीं है।
इसी तरह एक्ट का सेक्शन-26 यूनिवर्सिटी के कुलपति (वीसी) को सभी प्रशासनिक शक्तियां देता है। इससे वो यूनिवर्सिटी का संचालन करता है। वहीं, राज्य के राज्यपाल में तमाम शक्तियां निहित होती हैं। ऐसे में राज्य सरकार के आदेश यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होते। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने कहा कि जिस तबादला आदेश की बात याचिकाकर्ता कर रहे हैं; उसमें स्वायत्तशासी संस्थाओं का जिक्र जरूर है, लेकिन यह केवल उन स्वायत्तशासी संस्थाओं पर ही लागू होता है जो राज्य सरकार के अधीन हैं।
इस पर हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी की दलीलों से सहमति व्यक्त करते हुए याचिकाकर्ता असिस्टेंट प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह और बद्रीनारायण की याचिकाओं को खारिज करते हुए उनको तुरंत नई जगह पर जॉइन करने निर्देश दिए। वहीं, इनके जॉइन नहीं करने पर यूनिवर्सिटी को इनके खिलाफ कार्रवाई करने की छूट भी दी है। अदालत ने कहा कि अदालत रोज प्रतिदिन के प्रशासनिक कार्यों में भी दखल नहीं दे सकती है। लेकिन कोई प्रशासनिक आदेश असंवैधानिक और मनमाना है तो उसके खिलाफ अपील की जा सकती है।
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