भारत के क़ानूनी पेशे में बड़ा बदलाव, विदेशी वकील और लॉ फार्म को लेकर हुआ ये फैसला, BCI ने जारी किए ये नियम  | यहां जानिए डिटेल

नई दिल्ली 

अब भारत के कानूनी पेशे में बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा हैजिस मामले को लेकर वकीलों की सबसे बड़ी संवैधानिक बॉडी बीसीआई (BCI) पहले ना-नुकुर कर रही थी; उस पर उसने अब अपनी मुहर लगा दी है बीसीआई (Bar Council of India) की रजामंदी के बाद अब  विदेशी वकील और क़ानूनी फ़ार्म भी भारत में प्रैक्टिस कर सकेंगे BCI इनके रजिस्ट्रेशन के नियमों को जारी कर दिया है।

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Bar Council of India के इस फैसले के बाद अब विदेशी वकील और लॉ फर्म भारत में इंटरनेशनल लॉ और इंटरनेशनल ऑर्बिट्रेशन से जुड़े मामले देख सकेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने विदेशी वकीलों और विधि कंपनियों को विदेशी कानून, अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों और मध्यस्थता मामलों जैसे क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने का फैसला किया है। इसके साथ ही उसने भारत में ‘विदेशी वकीलों और विदेशी विधि फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के लिए भारतीय विधिक परिषद नियम, 2022’ को अधिसूचित कर दिया।

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बीसीआई ने कहा, इस मुद्दे पर फैसला लेने का वक्त आ गया है। उसका मानना है कि विदेशी कानून के अभ्यास के क्षेत्र में विदेशी वकीलों के लिए भारत में प्रैक्टिस को खोलने से गैर-मुकदमे वाले मामलों में अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दे और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों में भारत के वकीलों के लाभ के लिए भारत में कानूनी पेशे/ डोमेन को विकसित करने में मदद मिलेगी।’

बीसीआई ने कहा कि यह नियम अवरोधों को हटाएगा और इससे वह अच्छी तरह से नियंत्रित और विनियमित होगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि यह भारत और विदेशों के वकीलों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद है। बीसीआई के नोटिफिकेशन के मुताबिक ये नियम अदला-बदली के सिद्धांत पर आधारित हैं उसका दावा है कि इससे भारतीय वकीलों के लिए यह फायदेबंद रहेगा और इस बदलाव से भारत में लॉ प्रेक्टिस पर असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि इसे नियमों के दायरे में लागू किया जाएगा।

जारी नियमों में अनुसार विदेशी वकील या विदेशी कानून फर्म भारत में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत होने तक भारत में अभ्यास करने के हकदार नहीं होंगे। पंजीकरण शुल्क 50,000 अमेरिकी डॉलरऔर नवीनीकरण शुल्क 20,000 अमेरिकी डॉलर रखा है। विदेशी वकील या लॉ फर्म विदेशी वकीलों के रूप में पंजीकृत एक या एक से अधिक भारतीय अधिवक्ताओं को कानूनी विशेषज्ञता/सलाह लेने और संलग्न करने के हकदार होंगे।

पहले खिलाफ थी BCI
BAR COUNCIL OF INDIA  पहले विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों को भारत में कानूनी मामले लेने के खिलाफ थी। पहले उसका इरादा इन्हें किसी भी रूप में भारत में एंट्री देने का नहीं था। हालांकि 2007 से 2014 के दौरान BCI, राज्य बार काउन्सिल और कांफ्रेंस में इस मुद्दे को लेकर चर्चा हो चुकी थी जिसके बाद अब जाकर मंजूरी दे दी गई है।

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