हल्के में लेने की गलती न करें कब्ज़ को, जानिए इसकी वजह और निदान

कब्ज 

 डा. युवराज तेज, आरोग्य भारती 


हम जो कुछ भी भोजन लेते हैं, पच जाने पर वही भोजन, (सारांश) रस, रक्त, मांस, मेद, आदि धातुओं में परिणित होकर शरीर की पुष्टि करता है। भोजन का अपचा भाग (निरर्थक अंश) जो शेष रह जाता है वही मल है। यही मल यदि शरीर से सरलता से बाहर निकल जाए तभी हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है। किन्तु यदि जब यह मल पूर्ण रूप से विसर्जित नहीं होता है तो यह कष्टकारी अवस्था ही कोष्ठ बद्धता / विबन्ध/ कब्ज़/ कहलाती है।

सीएम पर संशय: माफीनामे के बाद गहलोत रहें या जाएं, पर तलवार की धार पर ही चलेगी सरकार | बड़ा सवाल; क्या राजस्थान में अब बिखर जाएगी कांग्रेस

कब्ज़ के लक्षण
कब्ज़ होने पर शरीर में भारीपन (गौरव/ पेट में गैस भरना (आध्मान,आक्टोपस भूख की कमी (अग्निमांद्य/ जीभ का मैला या फटा सा होना (मलावृत या विदारयुक्त) जिह्वा/ सिर दर्द, शरीर एवम मस्तिष्क की दुर्बलता, मुँह से लार बहते रहना या दुर्गन्ध आना, खट्टे कड़वे डकार आना, उल्टी आना, बुखार का एहसास रहना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, कभी पतला, कभी कठोर मल आना या मल कभी आना कभी न आना, कभी अधिक कभी कम मल आना,  पेट फूल जाना आदि लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं।

कब्ज़ के कारण

  • पेट को जबरदस्ती ठूंस-ठूंस कर भरना, मतलब पेट भरा पर आंखें  भूखी।
  • शादी पार्टी में या घर पर भी स्वादिष्ट रुचिकर खाना देखते ही हम उस पर टूट पड़ते हैं। पेट भर जाता है। पर मन नहीं भरता। फलतः कुछ ज्यादा ही खा जाते हैं।
  • अधिक मात्रा में भोजन करेंगे तो पचेगा नहीं। कारण; हमारी पाचन शक्ति तो फिक्स है भोजन को पचाने हेतु, लेकिन हम उससे अधिक भोजन को पचाने की अपेक्षा कर बैठते हैं। लेकिन पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और हमारा भोजन बिना पचे ही पेट और आंतों में पड़ा रहता है और कब्ज हो जाती है।
  • उड़द, राजमा, छोले, अरबी, फूलगोभी आदि दालें और सब्जियां मैदा और फास्ट फूड या अधिक मिठाई या सरसों तेल, रिफाइंड तेल, मिर्च मसालों युक्त भोजन ये सभी इतने गरिष्ठ हैं कि इन्हें पचाने हेतु आमाशय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और हमारी पाचन क्रिया बिगड़ जाने से कब्ज हो जाती है।
  • चोकर रहित अनाज, छिलके रहित फल सब्जियां और दालों के प्रयोग से भोजन में हो जाती है फाईबर की कमी। यह फाईबर हमारी आंतों  में झाड़ू का काम करता है और मल को आंतों से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका अपनाता है लेकिन इसकी कमी के चलते आंतें अपना काम ढंग से नहीं कर पाती और परिणाम होता है कब्ज़।
  • केवल पेट भरने के लिए भोजन करना बुद्धिमानी नहीं है। भोजन में स्टार्च और प्रोटीन एक भाग और फल, सब्ज़ी, दूध, दही ये तीन भाग होना चाहिए। इस अनुपात रहित भोजन से कब्ज होगी ही।
  • मांसाहार तो होता ही विबन्ध कारक है। यह गरिष्ठ तो है ही इसे पकाने में प्रयुक्त मिर्च मसाले घी तेल इसे और अधिक कब्ज़ कारक बना देते हैं।
  • सुबह का बना खाना रात को या रात को बना खाना बासी ही होता है जिससे पाचन शक्ति में शिथिलता आती है और परिणाम कब्ज़।
  • आज की भागम भाग वाली दिनचर्या में मनुष्य अपने भोजन के लिए भी समय नहीं निकाल पाता है। सुबह शाम हमारे भोजन करने का समय निश्चित हो तो कब्ज़ जैसी बीमारी से बच सकते है।
  •  भोजन  जितना चबा चबाकर किया जाएगा उतना ही जल्दी पचेगा। जो लोग भोजन को अच्छी तरह चबाए बिना अथवा जल्दी-जल्दी अध कुचले ग्रास निगल जाते हैं वे कब्ज़ के चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं।
  • दांतों का कार्य भोजन चबाने का है। यदि ये दांत अपने इस कार्य को सही ढंग से नहीं करेंगे तो भोजन को चबाने का काम हमारे आमाशय एवम आंतों को ही करना पड़ेगा लेकिन ये अवयव इस योग्यता के नहीं होते कि वे दांतों का काम भी सम्भाल सकें। इससे स्वभाविक ही पाचन संस्थान पर अतिरिक्त कार्य भार पड़ता है, अतः कब्ज़ से बचने के लिए हमारे दांतों का स्वस्थ होना अत्यावश्यक है। वृद्धावस्था में यह इस रोग का मुख्य कारण है, अतः वृद्धावस्था में हल्के  एवम सुपाच्य भोजन की सलाह दी जाती है।
  • भोजन को बिना सही ढंग से चबाए निगल जाने से भोजन में लार स्राव का मिश्रण नहीं हो पाता और भोजन अध पचा ही रह जाता है और मनुष्य कब्ज़ का शिकार हो जाता है।
  • चाय में मौजूद टैनिन आंतों का संकुचन करती है, सिकोड़ती है, आंतें रस छोड़ना बन्द कर देती हैं, उनमें रक्त की गति मन्द पड़ जाती है और आंतों की यन्त्र क्रिया समाप्त हो जाती है और मनुष्य हो जाता है कब्ज़ का शिकार।
  • उचित मात्रा में पानी नहीं पीने से आंतें भोजन के जलीयांश को सोख लेती है जिससे मल सूख जाता है और परिणाम कब्ज़। भोजन के समय या भोजन के तुरन्त बाद भोजन को पचाने वाले पाचक रसों की तेज़ी में कमी आती है। पाचन क्रिया बाधित होती है और परिणाम वही कब्ज़।
  • इसी प्रकार कठोर जल जिसमें चूने की मात्रा अधिक होती है मल को सुखा देता है और परिणाम कब्ज़। व्यायाम न करने अथवा कम करने से मांसपेशियां शिथिल हो जाती है, शारीरिक अवयवों की सामान्य क्रियाएं बाधित होती हैं।
  •  जो लोग दूषित वातावरण प्रदूषण युक्त क्षेत्रों में रहते हैं उन्हें उसी वायु में श्वास प्रश्वास लेना पड़ता है। फलतः उनका रक्त विषाक्त हो जाने से पाचन क्रिया बिगड़ जाने से कब्ज हो जाती है।
  • मल त्याग की इच्छा होने पर उसे प्रयत्नपूर्वक रोकने पर वात प्रकोप के कारण मल विपरीत गति के कारण मलाशय से पुनः बड़ी आंत में चला जाता है।वहां इसके जलीयांश का शोषण हो जाता है फलतः मल शुष्क और कठोर हो जाता है परिणाम होता है कब्ज़। शौच प्रेरणा के समय शौच न जाने से शौच प्रेरक तंत्रिकाएं भी कमजोर हो जाती है और नतीजा वही कब्ज़। गन्दा बदबूदार अंधकार मय कीड़े मकोड़े कॉकरोच युक्त शौचालय में भला कौन सुख पूर्वक मलत्याग कर पाता है और परिणाम वही मल की विपरीत गति मल का कठोर होना और कब्ज।
  • वर्तमान युग में कब्ज का प्रमुख कारण है आधुनिक कमोड। शौच के लिए उकडू सर्वोत्तम है। इससे जांघों का दबाब आंतों पर पड़ता है और व्यक्ति सुखपूर्वक मलत्याग कर पाता है लेकिन आधुनिक कमोड पर बैठने से यह सुविधा नहीं  होती और परिणाम कब्ज़।
  • चिंताग्रस्त व्यक्तियों में नाडी मंडल के विक्षुब्ध रहने से आंतों में विष्टम्भ रहता है तथा नाडी मंडल द्वारा होने वाली आंत की गति मन्द हो जाती है जिससे (मलबन्द) हो जाता है। नींद के समय आंतों  में संचित मल गतिशील होता है, किन्तु जाग्रत अवस्था में मल गति नहीं करता। इसलिए नींद में व्यवधान के कारण भी कवज़ हो जाती है।
  • बड़ी आन्त में शोथ (सूजन) विस्फार, अर्बुद या गाँठ पुरानी लम्बी बीमारी, रक्ताल्पता, टी.बी, अफारा, आंत्रपुच्छ शोथ (अपेंडिक्स), अर्श (मस्सा), पौरुष ग्रंथि शोथ आमाश्य या ग्रहणी व्रण, अपतन्त्रक, स्नायु दौर्बल्य, वृद्धावस्था, टायफाइड, तीव्र ज्वर आदि ऐसे रोग हैं जिनके कारण भी कब्ज़ हो जाती है।
  • सिक्का, धातु कांच की गोली, पत्थर आदि ठोस वस्तु जो पच नहीं सकती किसी कारण वश निगली जाने पर मलद्वार में फंसकर कब्ज़ का कारण बनती है। तम्बाकू, चाय, कॉफ़ी, भांग, अफीम, चरस, हसीस, कोकेन, गांजा एवम शराब आदि नशीले द्रव्यों की आदत व्यक्ति को कब्ज़ का रोगी बना देती है।

कब्ज़ से हानियां
अधिकांश रोगी कब्ज़ को कोई रोग नहीं मानते हैं और इसके प्रति उदासीन बने रहते हैं लेकिन यह समझना अत्यावश्यक है कि पेट में मल संचय कोई साधारण बात नहीं है। यह एक प्रकार का विष ही है जो विभिन्न रोगों का उत्पादक है।

ध्यान रहे इस कब्ज़ के कारण आपको गुदा रोग पाइल्स, फिशर, फिस्टुला, गुदा का स्थान भ्रष्टता या गुद भ्रंश, स्त्री रोग एवम पुरुषों के गुप्तरोग, हर्निया, रक्त की कमी, पीलिया, आंत्र प्रदाह, अनिद्रा, एक्ज़ीमा, मुँहासे, गठिया, खांसी, दमा, मन्दाग्नि, अजीर्ण, अतिसार, संग्रहणी, प्रवाहिका, रक्तचाप एवम पायरिया आदि रोग हो सकते हैं, अतः कब्ज़ को हल्के में लेने की गलती न करें।

कब्ज़ का उपचार
आयुर्वेद चिकित्सा का प्रमुख सूत्र है ‘निदान परिवर्जनम’ अर्थात रोग के कारणों को दूर करें। आपने अभी यहां कब्ज़ के कारणों को विस्तृत रूप से जाना है तो दूर करें उन कारणों को और भगाएं कब्ज़ को। फिर भी यदि कब्ज़ बनी रहती है तो कुछ घरेलू उपाय अपनाएं अपनी दवा स्वयं बनाएं।

  •  रात्रि ताम्बे के बर्तन में लगभग 1 लीटर पानी रखें और प्रातः उठते ही बिना कुल्ला किए सारा पानी पी जाएं। अब कुछ समय टहलें। कुछ दिनों में कब्ज से राहत मिलने लगेगी।
  • रात को 2 या 3 अंजीर दूध या पानी मे उबाल कर लें। यह उबली अंजीर खाकर पानी या दूध जिसमें इन्हें उबाला गया था को पी जाएं।
  •  3. रात्रि में सोते समय 5-7 मुनक्का चबा कर गर्म दूध पीवें।
  • रात को सोते समय अमलतास का गूदा 10 ग्राम तथा हरड़ का छिलका 6 ग्राम को आधा लीटर पानी में उबालें। आधा कप शेष रहने पर शक्कर मिलाकर पीवें।
  •  रात को गर्म दूध के साथ 2 चम्मच गुलकन्द खाने से कब्ज दूर होती है।
  • दाल चीनी 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण 15 ग्राम को 100 मि ली पानी में 10 मिनट तक उबालें अब छान कर गरम ही पी जाएं कब्ज़ दूर होगी।
  • 20 से 30 मि.ली. अलसी, बादाम या एरण्ड का तैल या गो घृत रात को सोते समय गरम दूध के साथ सेवन करने से भी कब्ज़ दूर होती है।
  •  गुलाब पुष्प 10 ग्राम छोटी पीपल, सफेद जीरा, मीठा सोडा और सौंठ 5-5 ग्राम भुना सुहागा 1 ग्राम को बारीक पीस लें। इन सभी द्रव्यों को 100 मि.ली. गुलाब जल में उबालें। थोड़ी देर बाद इसमें 100 ग्राम पिसी मिश्री मिला दें और धीमी आंच पर पकाएं। जब एकदम गाढ़ा अवलेह/ चटनी जैसा तैयार हो तो गैस बंद कर ठण्डा कर लें। उपरोक्त अवलेह /चटनी आधा चम्मच प्रति रात्रि गर्म पानी के साथ सेवन करें।कब्ज़ से राहत मिलेगी।
  • अनारदाना, जीरा भुना सफेद व स्याह, निशोथ, अम्लवेत तथा सैंधा नमक समान मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच यह चूर्ण रात को गर्म पानी के साथ लें।
  •  तिल का तेल कब्ज नाशक और सुपाच्य है अतः सब्जियों को तिल का तेल में पकाना चाहिए, खाने मे शामिल करें। 
  • उपरोक्त उपायों से भी यदि कब्ज़ दूर न हो तो अपने क्षेत्र के सुयोग्य आयुर्वेद चिकित्सक से सम्पर्क कर उचित औषध का प्रयोग करें। 

Hike Repo Rate: RBI ने फिर दिया झटका, बढ़ाया रेपो रेट, अब हो गई इतनी

सीएम पर संशय: माफीनामे के बाद गहलोत रहें या जाएं, पर तलवार की धार पर ही चलेगी सरकार | बड़ा सवाल; क्या राजस्थान में अब बिखर जाएगी कांग्रेस

गहलोत सरकार ने भी किया राज्य कर्मचारियों का DA बढ़ाने का ऐलान

Good News: केंद्रीय कर्मचारियों का DA बढ़ाने का ऐलान, जानिए कितना हुआ इजाफा

रेलवे के लाखों कर्मचारियों को बोनस का ऐलान, 11.56 लाख कर्मचारियों को होगा इसका फायदा, जानिए कितना मिलेगा

कार में पीछे बैठने वालों को भी अब बांधनी होगी सीट बेल्ट, आदेश जारी, इस डेट से लागू होगा ये नियम वरना भरना होगा जुर्माना

सात लाख कर्मचारियों को जल्दी मिल सकती है खुशखबर, बोनस देने की तैयारी में सरकार

केंद्र के अब सभी विभागों में मिलेगा यह अलाउंस, पूरी करनी होगी यह शर्त