RBI ने इस बैंक पर लगाया तीन करोड़ का जुर्माना, यह थी वजह

मुम्बई  

एक निजी बैंक RBI के मास्टर सर्कुलर में दिए गए दिशानिर्देशों के उल्लंघन कर रही थी तो  RBI ने उस पर जुर्माना ठोंक दिया है। इस निजी बैंक ने भी माना है कि हां; वह दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही थी। जिस बैंक पर यह जुर्माना लगाया गया है वह है-आईसीआईसीआई बैंक।

RBI ने एक प्रेस रिलीज जारी कर के कहा कि कुछ दिशा निर्देशों के उल्लंघन के लिए आईसीआईसीआई बैंक पर तीन करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि आईसीआईसीआई बैंक मास्टर सर्कुलर के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रही थी। RBI ने कहा कि ICICI Bank पर यह जुर्माना आरबीआई द्वारा बैंकों के लिए इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियों के ऑपरेशन, क्लासिफिकेशन और वैल्यूएशन के लिए जारी निर्देशों का सही तरीके से पालने नहीं करने पर लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि स्पष्ट मंजूरी के बिना मई 2017 में दूसरी बार प्रतिभूतियों को दूसरी जगह पर डालना उसके निर्देशों का उल्लंघन है। इसी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक पर इतना भारी-भरकम जुर्माना लगाया है।

इसी बीच आईसीआईसीआई बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज में दायर सूचना में कहा कि मई 2017 में कुछ निवेशों को एचटीएम श्रेणी से एएफएस श्रेणी में डालने पर बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 के कुछ प्रावधानों के तहत उस पर जुर्माना लगाया गया है।

इन बैंकों पर RBI का एक्शन
उल्लेखनीय है कि घोटालों और नियमों की अनदेखी के चलते आरबीआई को-ऑपरेटिव बैंकों पर जुर्माना और पाबंदी लगाते आया है इसी साल जनवरी में आरबीआई ने व्यावसायिक सहकारी बैंक मर्यादित पर 5 लाख रुपए और महाराष्ट्र नागरी सहकारी बैंक मर्यादित पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था केवाईसी (KYC) और कुछ अन्य मानदंडों के उल्लंघन को लेकर दोनों को-ऑपरेटिव बैंकों पर 7 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था इसके अलावा, इस महीने RBI ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान केवाईसी (KYC) पर जारी निर्देशों और चलन से हटाए गए नोटों को बदलने से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर बिहार अवामी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा कोई असर
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंक में जमा किए गए ग्राहकों के पैसों पर कोई असर नहीं होने वाला
RBI के मुताबिक, बैंकों के खिलाफ लिया गया इस तरह का एक्शन नियामकीय अनुपालनों में कमियों पर आधारित है इसका मकसद बैंकों और ग्राहकों के बीच किसी तरह के ट्रांजेक्शन या करार की वैधता पर फैसला देने का नहीं है ऐसे में स्पष्ट है कि इन इस बैंक के ग्राहकों के पैसों पर इस कार्रवाई का कोई असर नहीं पड़ने वाला है




 

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