जब शरीर ने सीखा ‘सहन करना’ | इम्यून सिस्टम की रहस्यमयी ताकत समझाने वालों को मिला नोबेल, बदल दिया मेडिकल साइंस का चेहरा

स्टॉकहोम

2025 का फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2025) उन तीन वैज्ञानिकों को मिला है जिन्होंने हमारे शरीर की “रक्षा प्रणाली” के भीतर चलने वाली खामोश जंग का रहस्य खोल दिया।
अमेरिका की मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल, और जापान के शिमोन सकागुची को यह पुरस्कार “पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस” की खोज के लिए मिला है — यानी शरीर कैसे खुद पर हमला करने से खुद को रोकता है।

क्या है ‘इम्यून टॉलरेंस’?

हमारा इम्यून सिस्टम हर वक्त वायरस और बैक्टीरिया से जंग लड़ता है। लेकिन कई बार यह भूल जाता है कि दुश्मन बाहर है — और खुद के ही अंगों पर हमला बोल देता है।
यही होती हैं ऑटोइम्यून बीमारियाँ — जैसे टाइप-1 डायबिटीज, रूमेटॉइड आर्थराइटिस या ल्यूपस

पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि यह ‘सहिष्णुता’ शरीर के अंदर बनती है (जिसे सेंट्रल टॉलरेंस कहा गया)।
लेकिन इस तिकड़ी ने दिखाया कि शरीर के बाहरी हिस्सों में भी एक नियंत्रण प्रणाली काम करती है — यही है पेरिफेरल टॉलरेंस, जो शरीर को खुद से लड़ने से रोकती है।

1990 के दशक की खोज जिसने दुनिया बदल दी

जापान के शिमोन सकागुची (Shimon Sakaguchi) ने 1995 में ‘रेगुलेटरी टी सेल्स (Tregs)’ नामक खास कोशिकाओं की पहचान की जो इम्यून सिस्टम के ‘ब्रेक सिस्टम’ की तरह काम करती हैं। अगर ये कोशिकाएं कमजोर पड़ जाएं, तो शरीर खुद अपने ही ऊतकों पर हमला करने लगता है।

अमेरिका की मैरी ब्रंकॉ (Mary E. Brunkow) और फ्रेड राम्सडेल (Fred Ramsdell) ने बाद में FOXP3 जीन की खोज की — यह वही जीन है जो Tregs को ‘मास्टर स्विच’ की तरह कंट्रोल करता है।
इस जीन में गड़बड़ी आने पर IPEX सिंड्रोम जैसी दुर्लभ बीमारी होती है, जहां बच्चे का इम्यून सिस्टम उसके ही शरीर को नष्ट करने लगता है।

उम्मीद की नई दवा

इन खोजों ने ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज का रास्ता खोला है।
अब Tregs थेरेपी से न केवल डायबिटीज और ल्यूपस जैसे रोगों पर नियंत्रण की उम्मीद है,
बल्कि कैंसर और ऑर्गन ट्रांसप्लांट में भी इसका उपयोग बढ़ रहा है।
जहां ज़रूरत हो, Tregs को दबाया जा सकता है — और जहां बचाव की ज़रूरत हो, इन्हें बढ़ाया जा सकता है।

नोबेल की घोषणा और पुरस्कार

कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली ने सोमवार को यह ऐतिहासिक घोषणा की।
तीनों वैज्ञानिकों को मिलकर 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (करीब 8.5 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि मिलेगी। दिसंबर में स्टॉकहोम में भव्य समारोह होगा, जहां तीनों को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।

संक्षेप में 

  • पुरस्कार: नोबेल इन फिजियोलॉजी या मेडिसिन 2025

  • विजेता: मैरी ई. ब्रंकॉ (अमेरिका), फ्रेड राम्सडेल (अमेरिका), शिमोन सकागुची (जापान)

  • खोज: पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस

  • महत्व: ऑटोइम्यून बीमारियों, ट्रांसप्लांट रिजेक्शन और कैंसर इलाज में क्रांति

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