कार्यपालिका और न्यायपालिका को दिशा दिखाने का दायित्व अखबारों पर: देवनानी

जयपुर 

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि मौजूदा दौर में अखबारों पर यह दायित्व भी है कि वे कार्यपालिका और न्यायपालिका को दिशा दिखाने का का काम करें। उन्होंने कहा कि खास तौर पर छोटे और मझौले अखबार यह दायित्व बखूबी निभा सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने शनिवार को जयपुर में एसोशिएशन ऑफ़ स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ़ इंडिया (ASMN) के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए यह बात कही।

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देवनानी ने कहा कि छोटे और मझौले अखबारों ने समय-समय पर जो मुद्दे उठाए, उनके आधार पर ही वर्तमान लोकतंत्र मजबूत होकर उभरा है। हालांकि आज के दौर में लघु समाचार पत्रों को भी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, फिर भी उन्होंने अपनी भूमिका को पहचानते हुए राष्ट्रहित के मसलों को उजागर करने का काम पूरी ईमानदारी और गंभीरता से निभाया है।

उन्होंने कहा कि आज भले ही डिजिटल मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया का बोलबाला है, फिर भी प्रिंट मीडिया का महत्व जरा भी कम नहीं हुआ है और आज भी बड़ी संख्या में लोग प्रिंट मीडिया पर पूरा यकीन करते हैं। छोटे और मझौले समाचार पत्रों की कठिनाइयों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे समाचार पत्रों के लिए विज्ञापन संबंधी नीतियों को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से लागू करें।

एसोशिएशन ऑफ़ स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवदत्त चंदोला ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि वर्तमान दौर में खास तौर पर छोटे और मझौले समाचार पत्रों का प्रकाशन करना बहुत मुश्किल हो गया है। आज ऐसे अखबार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से उन्हें बहुत कम समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे और मझौले अखबार नियमित तौर पर आम जनता के संपर्क में रहते हैं और कई अवसरों पर उन्होंने सरकार और जनता के बीच एक सेतु की भूमिका निभाई है। इन अर्थों में छोटे और मझौले अखबार सही मायनों में लोकतंत्र के प्रहरी हैं, लेकिन सरकार के निर्णयों ने उनकी मुश्किलों को बढ़ा दिया है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवदत्त चंदोला ने कहा कि लोकतंत्र के हित मंे छोटे और मझौले अखबारों को बचाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने मांग की कि छोटे अखबारों के काम में आने वाली आवश्यक सामग्री को जीएसटी से मुक्त किया जाए और ऐसे अखबारों को नियमित तौर पर सरकारी विज्ञापन जारी किए जाएं।

अधिवेशन के संयोजक विधायक गोपाल शर्मा ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बावजूद छोटे और मझौले अखबार आज भी अपना दायित्व पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे समाचार पत्रों ने अपने आदर्शों और मूल्यों को कायम रखते हुए पत्रकारिता की साख को कायम रखा है और इन्हीं मूल्यों के दम पर उन्होंने कॉर्पोरेट मीडिया और व्यवस्था के आगे सिर झुकाने से इनकार किया है।

एसोशिएशन ऑफ़ स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ़ इंडिया (असमनी) के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर प्रदेश में 50 वर्ष से अधिक अवधि से पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को सम्मानित किया गया। जिन पत्रकारों को सम्मानित किया गया, उनमें शामिल हैं- प्रवीणचंद्र छाबड़ा, मिलापचंद डांडिया, विनोद भारद्वाज, सुधेंदु पटेल, आशा पटेल, रामस्वरूप सोनी, पदमसिंह भाटी, एफ सी जैन, वेदव्रत शर्मा, आर के जैन, राधेश्याम दुसाद, ओम सैनी, सियाराम दुबे, गोपाल गीतेश, आनंद शर्मा, बृहस्पति शर्मा, पदम मेहता, प्रकाश भंडारी, गुलाब बत्रा, सत्य पारीक, सत्यनारायण शर्मा, एल सी भारतीय, जगदीश शर्मा, महेश शर्मा, महेश झालानी, अजय ढड्ढा और हरिसिंह सोलंकी।

इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका ‘कलम कुंभ’ का विमोचन भी किया गया। इस स्मारिका में राज्यों की पत्रकारिता का इतिहास संकलित किया गया है। साथ ही, कवि अनुराग शर्मा के काव्य संकलन ‘गूंजता एकांत’ का विमोचन भी उद्घाटन समारोह में किया गया।

असमनी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष एवं जयपुर पल्स के संपादक गोपाल गुप्ता ने बताया कि दो दिवसीय इस अधिवेशन में विभिन्न राज्यों से लगभग 350 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। अधिवेशन के उद्घाटन सत्र के अलावा दो सत्रों में लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की विभिन्न समस्याओं सहित संगठनात्मक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 में गठित संगठन का पहला अधिवेशन भी उसी वर्ष जयपुर में ही आयोजित किया गया था।

अधिवेशन के द्वितीय सत्र में संगठनात्मक चर्चा की गई जिसमें सभी रज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी बात रखी। द्वितीय सत्र के चाय ब्रेक के बाद शिक्षा और पत्रकारिता विषय पर पैनल डिस्कशन पर आमंत्रित अथिति सदस्य श्री हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुधि राजीव, वरिष्ठ पत्रकार श्री गोविन्द चतुर्वेदी एवं श्री नारायन बारेठ रहे।  पैनल डिस्कशन को श्रीमती अमृता मौर्य ने होस्ट किया। डिस्कशन में छोटे एवं मध्यम समाचार पत्रों की वर्तमान स्थिति पर सकारात्मक चर्चा हुई। नारायन बारेठ ने बताया कि भारत ही एक मात्र देश है जहां अख़बार जिन्दा है। सम्पूर्ण विश्व में अखबार दम तोड़ रहे हैं। डॉ सुधि राजीव ने कहा कि अपनी क्षमता और जानकारी का सम्पूर्ण उपयोग करके ही सफल पत्रकारिता कार्य कर सकता है। शिक्षा से कार्य में आसानी होती है। इसी तरह गोविंद चतुर्वेदी ने बताया कि में अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं सभी पत्रकारिता विश्वविधालय मुश्किल से 20 प्रतिशत परिणाम ही दे पातें हैं।

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