नई हवा ब्यूरो | नई दिल्ली
यहां आज हम बताने जा रहे हैं हर स्टूडेंट के काम की खबर। यह सभी को पढ़नी चाहिए और अपने साथियों के साथ शेयर भी। केंद्र सरकार ने देश में students के लिए ऐसी योजना शुरू की है जिससे यदि किसी की पढ़ाई बीच में छूट भी जाए तो उसका साल नहीं बिगड़ेगा। इसके लिए ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ शुरू किया गया है। UGC ने इसे नोटिफाई भी कर दिया है। देश की उच्च शिक्षा में केंद्र सरकार के इस कदम को क्रांतिकारी कदम के तौर पर देखा जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत यह कदम उठाया गया है।
‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ स्कीम का फायदा उन स्टूडेंट्स को मिलेगा, जिन्हें किन्हीं कारणों से बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। यही नहीं अब इस स्कीम के तहत एक विद्यार्थी एक ही समय में अलग-अलग कॉलेज और विश्वविद्यालयों से अपने पसंद का विषय पढ़ पाएगा। अभी तक ये संभव नहीं था, लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण सुझावों में से एक को लागू करते हुए यूजीसी इस सुविधा को संभव बनाने जा रहा है।
अब हर स्टूडेंट अपना एक अकेडमिक क्रेडिट अकाउंट खोल सकेगा। इसकी मदद से विद्यार्थी अपने पसंद के विषय को पढ़ सकेंगे। इस सिस्टम को शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी (Establishment and Operation of Academic Banks Of Credits in High Education) Regulations, 2021 नाम दिया है। इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई को इस स्कीम की शुरुआत भी कर दी।
क्या है ‘ABC’ की ABC
यूजीसी के नोटिफिकेशन के अनुसार Academic Bank of Credits (ABC) छात्राओं और छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की सुविधा होगी। इसके जरिए विद्यार्थियों को बीच में पढ़ाने छोड़ने, उस पढ़ाई का प्रमाण पत्र पाने और फिर जहां से उसने पढ़ाने छोड़ी है वहां से ही शुरू करने की सुविधा दी जाएगी।
जितनी पढ़ाई की है उसके अनुसार मिलेगा डिप्लोमा, डिग्री और सर्टिफिकेट
ABC एक ऑनलाइन स्टोर हाउस होगा। जो हर स्टूडेंट के डेटा का रिकॉर्ड रखेगा। इसके लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद वहां पढ़ने वाले हर स्टूडेंट का डेटा स्टोर होना शुरू हो जाएगा। यदि कोई स्टूडेंट बीच में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे टाइम पीरियड के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री दी जाएगी।
इसमें ग्रेजुएशन के लिए 3 से 4 साल के आधार पर डॉक्यूमेंटेशन रखा गया है। स्टूडेंट को सर्टिफिकेट, डिग्री या डिप्लोमा बैंक में जमा हो रहे क्रेडिट के आधार पर मिलेंगे। फर्स्ट ईयर पास करने पर सर्टिफिकेट, सेकेंड ईयर पास करने पर एडवांस डिप्लोमा और तीन साल या कोर्स पूर करने पर डिग्री दी जाएगी। और 4 साल के बाद रिसर्च के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री मिलेगी।
यह कमर्शियल बैंक की तरह काम करेगा। स्टूडेंट इसके कस्टमर होंगे। यानी जितनी आपने पढ़ाई पूरी की है वह बेकार नहीं जाएगी। अपनी सुविधा अनुसार अपनी पढ़ाई को जहां से आपने छोड़ी है, वहीं से आगे शुरू कर सकते हैं। यानी यदि ABC में पुराने रिकॉर्ड जमा हैं तो वह पढ़ाई छोड़ने के बाद कभी भी दोबारा शुरू कर सकता है। स्टूडेंट्स के पास कॉलेज में मल्टिपल एंट्री और एक्जिट का ऑप्शन होगा।
इसे शैक्षणिक संस्थाएं ऑपरेट करेंगी और विद्यार्थी इसके स्टेकहोल्डर होंगे। इस डेटा बैंक से सभी जरूरी जानकारियां हासिल की जा सकेंगी। एकैडमिक बैंक शैक्षणिक गतिविधियों के उद्देश्य के लिए काम करेगा। इसके काम करने का तरीका व्यावसायिक बैंकों जैसा ही होगा। ABC से मिलने वाली सुविधाओं में क्रेडिट वैरिफिकेशन, क्रेडिट ट्रांसफर, क्रेडिट जोड़ना शामिल है। इसके अलावा इसके जरिए शैक्षणिक डिग्री को भी प्रमाणित किया जा सकेगा।
ऐसे रखा जाएगा क्रेडिट का रिकॉर्ड
इस सुविधा के जरिए जरूरत पड़ने पर अपना पाठ्यक्रम बदल सकेंगे, विषय बदल सकेंगे। यही नहीं वे पूरी तरह से अपना डिसिप्लिन बदल सकेंगे। यानी कि कॉमर्स का विद्यार्थी साइंस ले सकेगा, आर्ट्स का विद्यार्थी भौतिकी की पढ़ाई कर सकेगा। खास बात यह है कि उसने अब तक जो पढ़ाई की है वो बेकार नहीं जाएगी, बल्कि इसका क्रेडिट स्कोर उसके खाते में जुड़ेगा। इस क्रेडिट का रिकॉर्ड Academic Bank of Credits में रखा जाएगा। उसके अध्ययन से जुड़ी जानकारियां रखी जाएंगी।
इससे पाठ्यक्रम ढांचे को व्यापक स्तर पर लचीलापन मिलेगा। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट छात्रों को विषयों का विकल्प प्रदान करेगा। इसके अलावा छात्रों के पास अध्ययन के लिए नए विषय, नए तरीके, आकर्षक पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। कुल मिलाकर इससे अध्ययन के लिए स्वायत्तता मिलेगी। विद्यार्थियों के पास देश के कई संस्थानों में पढ़ने का विकल्प होगा।
इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, लॉ और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस भी होंगे कवर
‘ABC’ UGC से मान्य सभी हायर इंस्टीट्यूट के कोर्सेस के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, लॉ और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस को भी कवर करेगा। हालांकि, इनमें से कई कोर्सेस अलग-अलग प्रोफेशनल बॉडी द्वारा रेगुलेट किया जाएगा। क्रेडिट बैंक योजना के लिए उनकी मंजूरी मांगी जाएगी। इसके अलावा सरकारी ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे SWAYAM, NPTEL, V-Lab या किसी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों पर भी क्रेडिट ट्रांसफर और स्टोर करने के बारे में विचार किया जाएगा।
ऐसे काम करेगा एकेडमिक बैंक (ABC)
एकेडमिक बैंक में स्टूडेंट का अकाउंट खोला जाएगा। इसके बाद उसे एक स्पेशल ID और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन करना होगा। स्टूडेंट्स के एकेडमिक अकाउंट में उच्च शिक्षा संस्थान स्टूडेंट्स को उनके किए जा रहे पाठ्यक्रमों के लिए क्रेडिट देंगे।
कोई भी विद्यार्थी उठा सकता है फायदा
इस योजना का फायदा किसी भी इंस्टीट्यूट का छात्र उठा सकता है। शर्त सिर्फ इतनी है कि इंस्टीट्यूट ने अपना रजिस्ट्रेशन इस स्कीम के तहत कराया हो। अलग-अलग संस्थानों में सभी कोर्स नहीं होते, इसलिए किसी भी इंस्टीट्यूट को इसमें शामिल होने की छूट दी गई है।
सात साल का होगा पीरियड
ABC में स्टोर क्रेडिट की अधिकतम शेल्फ लाइफ 7 साल होगी। इसके बाद इसका फायदा नहीं मिलेगा। यदि इंस्टीट्यूशन में अलग नियम हैं तो उसका फायदा छात्रों को मिल सकता है।
ABC के काम क्या होंगे?
ABC रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट द्वारा दिए गए क्रेडिट को स्टूडेंट्स के अकाउंट्स में जमा करेगा। यह UGC के दिशा-निर्देशों और मानदंडों के मुताबिक क्रेडिट को भी मान्य करेगा। बैंक सिर्फ इंस्टीट्यूट्स के दिए गए क्रेडिट स्वीकार करेगा ना कि स्टूडेंट्स के।
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