आगरा
रेलवे की एक महिला कर्मचारी ने अपने ट्रांसफर के लिए नेताओं से क्या एप्रोच लगाई कि यह उसके लिए भारी पड़ गई। उसकी इस तरह पॉलिटिकल एप्रोच लगाना अफसरों को इतना नागवार गुजरा कि उसे ‘रिमूवल फ्रॉम सर्विस’ का लैटर थम दिया गया। यानी उसे अब नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
मामला उत्तर मध्य रेलवे का है। आगरा में पूजा नाम की इस महिला कर्मचारी ने केंद्र और राज्य के दो जनप्रतिनिधियों से अपने ट्रांसफर की सिफारिश लगवाई थी। अधिकारियों को यह सिफारिश इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने महिला का ट्रांसफर करने की जगह उसे नौकरी से ही निकाल दिया। यह महिला फील्ड जॉब रती थी, लेकिन वह ऑफिस वर्क चाहती थी। इसी के लिए उसने जनप्रतिनिधियों से ट्रांसफर करने की सिफारीश की सिफारिश कारवाई थी। लेकिन अधिकारियों ने महिला को रिमूवल फ्रॉम सर्विस का लेटर हाथ में थमाकर उसे नौकरी से निकाल दिया।
यह महिला कर्मचारी इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट में हेल्पर के पद पर तैनात थी और फील्ड जॉब पर थी। किसी कारण से वह परेशान थी और इस वजह से उसने रेलवे के अधिकारियों से अपने ट्रांसफर की गुजारिश की थी। मगर, अधिकारियों ने जब उसकी बात नहीं सुनी तो उसने रेल विभाग के अधिकारियों को जन प्रतिनिधियों से सिफारिश लगवाई। इस बात से अधिकारी नाराज हो गए और उन्होंने महिला कर्मचारी का ट्रांसफर करने की जगह उसे रिमूवल फ्रॉम सर्विस का लेटर थमा दिया।
आगरा मंडल की रेलवे अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव का इस मामले में एक बयान भी मीडिया तक पहुंचा जिसमें उन्होंने कहा है ने कि रेल सर्विस कंडक्ट रूल 1966 के तहत अगर कोई कर्मचारी पॉलिटिकल दबाव बनाता है, तो नियम 20 के तहत उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। इसी के आधार पर महिला को नौकरी से निकाला गया है। इधर इस घटना के बाद से पूरे रेलवे में हड़कंप मच गया है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब सिफारिश करने पर किसी को नौकरी से निकाल दिया है।
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