कच्चा परकोटा वासियों ने स्थानीय निकाय विभाग के डायरेक्टर का किया घेराव, पट्टे दिलाने की गाइड लाइन शीघ्र जारी कराने की मांग, मिला ये भरोसा

भरतपुर 

स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक हिदेश कुमार शर्मा  के सोमवार को भरतपुर आगमन पर कच्चा परकोटा वासियों ने घेराव किया और पट्टे मिलने में हो रहे असाधारण विलम्ब पर आक्रोश व्यक्त करते हुए पट्टे दिलाने की गाइड लाइन शीघ्र जारी कराने की मांग की।  इसे लेकर एक ज्ञापन भी कच्चा परकोटा नियमन संघर्ष समिति भरतपुर के संयोजक जगराम धाकड़ के नेतृत्व में स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को दिया गया।

ज्ञापन में निदेशक को अवगत कराया गया कि स्थानीय निकाय विभाग राजस्थान जयपुर द्वारा भरतपुर शहर के कच्चे परकोटे के संदर्भ में किसी प्रकार की गाइड लाइन एवं नियमन दर तक तय नहीं की गई है। जिसके कारण प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 के अनुसार डन्डे की भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं।

ज्ञापन में बताया गया कि कच्चे डण्डे एवं शहर की पुरानी आबादी की भूमि रियासत काल से लेकर वर्तमान तक राजस्व रिकॉर्ड में किस्म गैर मुमकिन आबादी की राजकीय भूमि रही है। जो वर्तमान में चक नं. 1 व चक नं. 3 की आबादी बंजर किस्म की भूमि है। जिस पर रियासत काल में शहर के चारों ओर मिट्टी का परकोटा बनाया गया था। इस भूमि पर गरीब, मजदूर, दलित, अल्पसंख्यक आदि वर्ग के 2000 परिवार के लोग 45-50 वर्षों से परम्परागत सघन आबादी के रूप में निवास करते आ रहे हैं। जो नगर निगम के क्षेत्र अधिकार में है।

दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप
संघर्ष समिति ने नगर निगम प्रशासन एवं राज्य सरकार पर डण्डे के पट्टे देने में दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाते हुए ज्ञापन में लिखा है कि कच्चे डण्डे की भूमि और शहर की पुरानी आबादी की भूमि राजस्व रिकॉर्ड में एक ही खसरा नम्बर की शामिल भूमि है। जिसकी किस्म गैर मुमकिन आबादी राजकीय है। किन्तु नगर निगम भरतपुर द्वारा शहर की पुरानीआबादी राजकीय भूमि के पट्टे राजस्थान स्टेट ग्राण्ट एक्ट 1961 एवं 89ए के तहत् पट्टे उक्त अभियानों में दिये जा रहे हैं। लेकिन कच्चे परकोटे की गैर मुमकिन राजकीय आबादी की भूमि पर बसे लोगों को अलग से गाइड लाइन  एवं नियमन दर जारी करने के नाम पर कच्चे परकोटे वालों के साथ भेदभाव व पक्षपात पूर्ण कार्यवाही की जा रही है। जबकि कच्चे परकोटे वालों को पुरानी आबादी के अतिक्रमियों को दिए  गए  69ए एवं स्टेट ग्राण्ट एक्ट के तहत पट्टे के अनुसार पट्टे दिए  जाने चाहिए  लेकिन राज्य सरकार कच्चे परकोटे के लिए अलग से नियमन दर एवं गाइड लाइन जारी नहीं कर रही है। इस मामले को लम्बे समय से अटका रखा है।

ज्ञापन में निदेशक से मांग की है कि शहर के कच्चे परकोटे की गैर मुमकिन आबादी की भूमि पर काबिज 2000 परिवारों को बिना किसी भेद-भाव के  शहर की पुरानी आबादी की तर्ज पर स्टेट ग्राण्ट एक्ट एवं 89ए की तहत पट्टे दिलाने की गाइड लाइन शीघ्रता शीघ्र जारी कराई  जाए  अन्यथा संघर्ष समिति को पट्टे लेने की मांग को लेकर पुनः आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

निदेशक को ज्ञापन देते समय पूर्व नेता प्रतिपक्ष इन्द्रजीत भारद्वाज ने अवगत कराया कि कच्चे डण्डे की भूमि शहर की पुरानी आबादी के खसरा नम्बारनों में शामिल राजकीय एवं नगर निगम भरतपुर के अधिकार क्षेत्र की भूमि है। किसी अन्य विभाग की भूमि नहीं है। सरकार को गलत तथ्य पेश कर भ्रमित किया जा रहा है। कच्चे डण्डे की भूमि प्रतिबन्धित भूमि नहीं है। कच्चे परकोटे के लोग स्टेट ग्राण्ट एवं 89ए के तहत पट्टे प्राप्त करने के मापदण्डों को पूरा करते हैं। सरकार स्तर से स्टेट ग्राण्ट व 69ए के तहत पट्टे देने की गाइड लाइन शीघ्र  जारी कराई जाए।

जुलाई में ही जारी हो जाएगी गाइड लाइन
स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक हृदेश कुमार ने ज्ञापन देने आए प्रतिनिधि मण्डल को आश्वासन दिया कि कच्चे परकोटे की नियमन करने की गाइड लाइन इस जुलाई माह में बिना किसी भेदभाव के सरकार स्तर से जारी कर दी जाएगी।  इसके बाद कच्चे डण्डे वालों को प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे मिल सकेंगे।

प्रतिनिधि मण्डल में किसान नेता यदुनाथ सिंह दारापुरिया, मंगल सिंह, भागचंद शर्मा, श्रीकृष्ण कश्यप, श्रीराम चन्देला, राजकुमार, समन्दर सिंह, अवरार खान, सतीश, मनोज गौतम, गोपीकांत शर्मा, मनोज गौतम, दीपक सिंह, मिश्रीलाल, खेमचंद, ओमप्रकाश मिश्रा, प्रहलाद गुप्ता, महेश शर्मा, हनुमान शर्मा, मिट्ठन सिंह, चंद्रमान शर्मा, हवलदार किशनलाल, इरफान खान, गफूर खान, नरेश शर्मा, लक्ष्मन सिंह, श्रीमती हेमलता, श्रीमती शारदा, श्रीमती विमला, श्रीमती शान्ता, श्रीमती अनिता, श्रीमती मीना, श्रीमती मंजू, श्रीमती मीनाक्षी मिश्रा, श्रीमती गिरिजा गुप्ता, श्रीमती कैलादेवी, श्रीमती बतासिया, हरि सिंह कश्यप, दिलीप, भूरा भगत, रामप्रसाद, बन्टी, हरीश सहित सैकड़ों की तादाद में महिला-पुरुष मौजूद रहे।

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