समायोजित शिक्षाकर्मियों का दर्द: पुरानी पेंशन और समान अधिकारों के लिए उठी बुलंद आवाज | दो दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन 

जयपुर 

राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ एवं वेलफेयर सोसाइटी (Rajasthan Samajwadi Shiksha Karmi Sangh and Welfare Society) राजस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन शनिवार को देराश्री शिक्षक सदन, राजस्थान विश्वविद्यालय कैंपस में संपन्न हुआ। यह सम्मेलन शिक्षा व्यवस्था में समायोजित शिक्षाकर्मियों के अधिकारों, नई शिक्षा नीति और सरकारी दोहरे रवैये पर तीखे सवाल उठाने के लिए आयोजित किया गया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से हुआ। इस दौरान डॉ. प्रभा पारीक ने अपने स्वागत उद्बोधन में प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया ने बताया कि समायोजित शिक्षाकर्मी आज भी अपने मूल अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संगठन ने हमेशा इन शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए प्रयास किया है और आगे भी करेगा।

प्रदेश महामंत्री शिव शंकर नागदा ने राजस्थान की नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए इसे समायोजित शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को प्राथमिकता से उठाने पर जोर दिया। प्रदेश संरक्षक गोपाल छंगाणी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि,

“समायोजित शिक्षाकर्मियों को राज्य सेवा के कर्मचारियों के समान सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। सरकार को 1996 अधिनियम के तहत पुरानी पेंशन बहाल करनी चाहिए, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी सही ठहराया है।”

पुरानी पेंशन बहाली की जोरदार मांग
डॉ. एम. सी. मालू (विधिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष) ने न्याय और वैधानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरानी पेंशन शिक्षाकर्मियों का संवैधानिक अधिकार है और इसे लागू करने में देरी शिक्षकों के वृद्धावस्था के सम्मान पर चोट है।

संगठन के सचिव ईश्वर सिंह शेखावत ने सरकार की नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय ग्रामीण गरीब बच्चों के लिए जीवनदायिनी हैं।

“सरकार को इन स्कूलों को बंद करने के बजाय मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करना चाहिए ताकि गरीब तबके के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।”

वित्तीय रिपोर्ट और संगठन की उपलब्धियां
कोषाध्यक्ष अजय पवार ने वर्षभर के वित्तीय लेखा-जोखा और संगठन की गतिविधियों की जानकारी साझा की। उन्होंने संगठन की वित्तीय पारदर्शिता और शिक्षाकर्मियों के हक में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में उठे बड़े मुद्दे

  1. पुरानी पेंशन बहाली: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने की मांग।
  2. समान अधिकार: समायोजित शिक्षाकर्मियों को राज्य कर्मचारियों के समान सुविधाएं देने का आग्रह।
  3. महात्मा गांधी विद्यालयों का संरक्षण: ग्रामीण गरीब बच्चों के लिए इन स्कूलों को बंद न करने की अपील।
  4. शिक्षा नीति की खामियां: नई नीति के तहत समायोजित शिक्षकों की अनदेखी।

कार्यक्रम के प्रमुख उपस्थित पदाधिकारी
सम्मेलन में प्रदेश सभापति भवानी सिंह शेखावत, प्रदेश संरक्षक फेरू सिंह, श्रीमती प्रेम साहू, प्रदेश सचिव आनंद प्रकाश कल्ला, देशराज मान और नवीन कुमार शर्मा समेत विभिन्न जिलों के अध्यक्ष व समायोजित शिक्षाविद मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन नवीन कुमार शर्मा ने किया। अंत में ईश्वर सिंह शेखावत ने सभी उपस्थित अतिथियों और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “सरकार को समायोजित शिक्षकों की पीड़ा को समझना होगा। यह लड़ाई केवल शिक्षकों की नहीं, बल्कि शिक्षा के उज्जवल भविष्य की है।”

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सरकार कब सुनेगी इनकी पुकार?
सम्मेलन में शिक्षकों ने एक सुर में मांग की कि उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए उन्हें उनका हक दिया जाए। पुरानी पेंशन बहाल कर उनकी वृद्धावस्था सुरक्षित की जाए और राज्य कर्मचारी के समान अधिकार दिए जाएं। अब देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार शिक्षकों की इस पीड़ा को सुनेगी या फिर इन्हें अपने हक के लिए और लंबा संघर्ष करना होगा?

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