भरतपुर

राजेश खंडेलवाल
तबीयत ठीक नहीं रहती। इलाज कराने सरकारी अस्पताल जाऊं तो वहां मेरी देखभाल और सेवा कौन करेगा? कुछ ऐसी ही चिंता में डूबे बुजुर्गों के लिए यह राहत भरी खबर है। इसके लिए राजस्थान की भजनलाल सरकार ने अब सरकारी अस्पतालों में ‘रामाश्रय’ बनाए हैं, जिनमें बुजुर्गों की सेवा के साथ इलाज भी बेहतर हो सकेगा। ‘रामाश्रय’ में जांच के लिए आवश्यक उपकरण भी लगाए हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने संवेदनशील पहल कर 49 जिला अस्पतालों में वृद्धावस्था विशेषज्ञ इकाई (जीरियाट्रिक वार्ड एवं जीरियाट्रिक क्लिनिक) बनाए हैं। इन्हें ही ‘रामाश्रय’ का नाम दिया गया है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सरकारी अस्पतालों में आने वाले बुजुर्गों को सुगमतापूर्वक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए जीरियाट्रिक वार्ड की स्थापना के निर्देश दिए थे। इस पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह ने इस पहल को 100 दिवसीय कार्य योजना में शामिल करवाया। चिकित्सा मंत्री के निर्देशों पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने यह सुविधा शुरू भी कर दी है।
अल्प समय में तैयार किए ‘रामाश्रय’
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्राय: यह देखा जाता था कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बुजुर्गों को उपचार को लेकर असहजता महसूस होती थी। उन्हें इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए ही अल्प समय में जीरियाट्रिक वार्ड शुरू करने का निर्णय लिया गया।
कैसी सुविधाएं होंगी ‘रामाश्रय’ में
रामाश्रयों में 10 फाउलर बैड होंगे। इनमें से 5 बैड महिला एवं 5 बैड पुरूषों के लिए आरक्षित किए हैं। हर बैड के बीच पार्टीशन कर परदे लगाए हैं। बैड के पास नर्सिंग अलार्म सिस्टम लगाए हैं ताकि आपात स्थिति में बुजुर्ग तत्काल नर्सिंग स्टाफ को बुला सकें। वार्ड में महिला एवं पुरुष रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए हैं। इन शौचालयों में ग्रेब-बार लगाए गए हैं। वार्ड में फिजियोथेरेपिस्ट एवं फिजियाथैरेपी से संबंधित उपकरणों की समुचित व्यवस्था की गई है। इनमें शॉर्ट वेव डायाथर्मी, अल्ट्रासाउण्ड थैरेपी, सरवाइकल ट्रैक्शन, पैल्विक ट्रैक्शन, ट्रांस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेटर जैसे उपकरण शामिल वार्ड में व्हील चेयर, ट्रोली, मेडिसिन कैबिनेट एवं अन्य आवश्यक फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया है।
वार्ड में ही मिलेगी विशेषज्ञ सेवाएं व जांच की सुविधा
निदेशक (जनस्वास्थ्य) डॉ. रविप्रकाश माथुर ने बताया कि वार्ड का एक नोडल अधिकारी होगा, जो व्यवस्थाओं का प्रबंधन संभालेगा। बुजुर्ग रोगियों की देखभाल के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ तथा साफ-सफाई के लिए कार्मिक होंगे। बुजुर्गों को आईपीडी के समय विशेषज्ञ सेवाएं वार्ड में ही मिलेंगी। जांच के लिए सैम्पल भी वार्ड से ही एकत्र किए जाएंगे तथा रिपोर्ट भी बैड पर ही उपलब्ध करवाई जाएगी। वृद्धजनों के उपचार एवं अन्य व्यवस्थाओं से संबंधित सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथैरेपिस्ट एवं अन्य कार्मिकों के दूरभाष नंबरों की सूची वार्ड के बाहर चस्पा रहेगी।
ओपीडी सेवाओं के लिए जीरियाट्रिक क्लिनिक
जीरियाट्रिक सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील सिंह ने बताया कि राजकीय जिला अस्पतालों एवं उप जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को ओपीडी सेवाओं के लिए जीरियाट्रिक क्लिनिक की व्यस्था की गई है। साथ ही अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन काउंटर, जांच काउंटर, दवा वितरण केंद्र आदि पर बुजुर्गों के लिए अलग से व्यवस्था की है ताकि उन्हें अधिक समय कतारों में नहीं खड़ा रहना पड़े और आसानी से उपचार मिल सके। यह क्लिनिक रामाश्रय क्लिनिक के नाम से जाने जाएंगे।
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