जयपुर। देश के 28 राज्यों में सैंकडों ब्रांच खोलकर बीस लाख लोगों से निवेश के नाम पर 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला करने वाली आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के आरोपी चाहते हैं कि उनके खिलाफ दर्ज प्रकरणों में एसओजी ने 60 दिन की तय अवधि में जांच पूरी नहीं की। लिहाजा उनको डिफाल्ट बेल दी जाए। मामले के आरोपी और सोसायटी के निदेशक राहुल मोदी सहित अन्य ने इसे लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया।
एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। आरोपियों ने याचिका में सीआरपीसी की धारा 173 की संवैधानिक वैधता व उसके प्रावधानों को चुनौती दी है। याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज प्रकरणों में एसओजी ने निर्धारित 60 दिन की अवधि में जांच पूरी नहीं की और सीआरपीसी की धारा 173 में जांच प्रक्रिया लंबित कर रखी है। इससे उनका डिफॉल्ट बेल का अधिकार प्रभावित होता है। इस मामले के एक अन्य आरोपी कमलेश चौधरी को डिफॉल्ट बेल मिल चुकी है। लिहाजा उन्हें भी इस मामले में डिफॉल्ट बेल दी जाए।
सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी व राज्य सरकार की ओर से कहा कि आरोपियों को याचिका में सीधे तौर पर जमानत नहीं दी जा सकती। आरोपी केन्द्र सरकार के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने की आड़ में अदालत से जमानत मांग रहे हैं। आरोपियों को जमानत याचिका के जरिए ही जमानत मांगनी चाहिए, इसलिए आरोपियों की याचिका खारिज की जाए। अदालत ने पक्षकारों की बहस सुनकर याचिका में फैसला बाद में देना तय किया है।
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