नई दिल्ली
मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री अब मोहन यादव होंगे। वे उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। भोपाल स्थित BJP के प्रदेश कार्यालय में सोमवार को पार्टी विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी। मोहन यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। मौजूदा सीएम शिवराज सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया। इसके साथ ही प्रदेश में जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को डिप्टी सीएम बनाया गया है। नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया है।
मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान की बारी है। उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान में मंगलवार को नए मुख्यमंत्री का ऐलान हो सकता है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पैटर्न से लगता है कि यहां भी कोई नया चेहरा ही सीएम होगा। हालांकि वसुंधरा राजे अभी अड़ी हुए हैं। अब देखने वाली बात ये है कि राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के आगे कितना झुकता है।
मध्य प्रदेश में आज दोपहर तक नए सीएम को लेकर सुगबुहाट चलती रही और अपराह्न बाद मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया गया। पार्टी ने इस प्रदेश में मोहन यादव (Mohan Yadav) को नया मुख्यमंत्री चुना। खुद शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा।
प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज विधायक दल की बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए सीएम होंगे। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। उन्हें संघ का करीबी माना जाता है। वह शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे और 2013 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 2018 में उन्होंने दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से चुनाव जीता। मार्च 2020 में शिवराज सरकार के दोबारा बनने के बाद जुलाई में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था। दो जुलाई 2020 को शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद सूबे की राजनीति में उनका कद बढ़ा। उनका जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। वह लगातार तीसरी बार विधायक बने।
जानिए कौन हैं मोहन यादव
मोहन यादव ने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख दिया था। वह 1982 में माधव साइंस कॉलेज के ज्वॉइंट सेक्रेटरी रहे। इसके बाद 1984 में वह अध्यक्ष बने। 1984 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) उज्जैन के नगर मंत्री पद तक पहुंचे।
बाद में 1988 में उन्हें एबीवीपी के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया। वह 1989-90 तक परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री बने। इसी तरह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह 1991-1992 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री पद तक पहुंच गए।
वह 1993-1995 में आरएसएस (उज्जैन) शाखा के सहखंड कार्यवाह बने। 1997 में भाजयुमो की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। बाद में 1998 में पश्चिमी रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बन गए। 1999 में उन्हें भाजयुमो के उज्जैन संभाग का प्रभारी बनाया गया।
साल 2000-2003 में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्यपरिषद के सदस्य बने। 2000-2003 में उन्हें भाजपा का नगर जिला महामंत्री बनाया गया। 2004 में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। बाद में 2004 से 2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद तक पहुंचे। साल 2008 से भारत स्काउट एंड गाइड के जिलाध्यक्ष बने। इसके अलावा उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। उन्हें उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) की ओर से महात्मा गांधी पुरस्कार, इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से सम्मान और मध्य प्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु पुरस्कार से नवाजा गया है।
मोहन यादव ने 2023 में चुनाव आयोग कि दिए हलफनामे में बताया है कि उनके पास 42 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। इसमें से लगभग 10 करोड़ की चल और 32 करोड़ की अचल संपत्ति है। उनके ऊपर एक भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है।
मोहन यादव के पास एलएलबी और पीएचडी जैसे डिग्रियां हैं। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और एक बेटी शामिल है।
राजस्थान में कौन?
राजस्थान में सीएम वसुंधरा राजे होंगी या कोई और, इससे पर्दा मंगलवार को उठ जाएगा। कल दोपहर एक बजे विधायक दल की बैठक प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पैटर्न से लगता है कि यहां भी कोई नया चेहरा ही सीएम होगा। हालांकि वसुंधरा राजे अभी अड़ी हुए हैं। अब देखने वाली बात ये है कि राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के आगे कितना झुकता है। भाजपा ने दोनों ही प्रदेशों में नए मुख्यमंत्री एलान कर सबको चौंका दिया था। राजस्थान में भी यह हो सकता है।
राजस्थान में भी सीएम के लिए चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है। पर्यवेक्षक और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार 12 दिसंबर को जयपुर पहुंचेंगे। दो अन्य पर्यवेक्षक विनोद तावड़े व सरोज पांडेय भी सोमवार देर रात या फिर मंगलवार सुबह जयपुर पहुंचेंगे।
दो प्रदेशों के तरह राजस्थान में भी दो डिप्टी सीएम हो सकते है। राजस्थान में सीएम के नाम को लेकर कई नेताओं के नाम चल रहे हैं। अब देखना होगा कि किसके नाम पर मुहर लगती है। आलाकमान के निर्देशों की अवहेलना
इधर, भाजपा विधायकों को स्पष्ट रूप से निर्देश हैं कि वे किसी भी नेता के घर जाकर नहीं मिलें। सिर्फ कार्यालय आकर ही मुलाकात करें। इसके बावजूद वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले विधायक कालीचरण सराफ सहित कुछ विधायकों ने सोमवार को भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के घर जाकर मुलाकात की। इससे पहले रविवार को भी कई विधायक राजे से मिलने पहुंचे थे।
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