‘टायर फटना दैवीय घटना नहीं, मानवीय लापरवाही…’ HC का फैसला, बीमा कंपनी को अब देना होगा 1.25 करोड़

मुंबई 

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एक कार दुर्घटना (Car Accident) में मारे गए व्यक्ति के परिवार को मुआवजे के खिलाफ एक बीमा कंपनी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कार का टायर फटना ईश्वर का कार्य (Act of God) नहीं बल्कि मानवीय लापरवाही है। कोर्ट ने कहा कि कार के टायर का फटना ईश्वरीय कृत्य (Act of God) नहीं कहा जा सकता है, यह मानवीय लापरवाही का मामला है। इसके बाद पीठ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के 2016 के फैसले के खिलाफ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील खारिज कर दी। यह फैसला सामने आने के बाद अब इस बीमा कम्पनी को परिवार को 1.25 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।

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न्यायमूर्ति एसजी डिगे की एकल पीठ ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के 2016 के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया  इसमें पीड़ित मकरंद पटवर्धन के परिवार को 1.25 करोड़ रुपए  का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था

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दरअसल 25 अक्टूबर, 2010 को मकरंद पटवर्धन (38) अपने दो सहयोगियों के साथ पुणे से मुंबई जा रहे थेपटवर्धन के सहयोगी जो कार का मालिक था तेज और लापरवाही से ड्राइव कर रहा था; तभी पिछला पहिया फट गया और कार गहरी खाई में गिर गई इस हादसे में मकरंद पटवर्धन की मौके पर मौत हो गई ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़ित अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला शख्स था बीमा कंपनी ने अपनी अपील में कहा कि मुआवजे की राशि अत्यधिक और हद से अधिक थी इसके साथ ही कंपनी ने कहा था कि टायर फटना ईश्वर का कार्य था न कि चालक की ओर से लापरवाही। कम्पनी ने कहा कि ‘यह एक गंभीर अप्रत्याशित प्राकृतिक घटना को संदर्भित करता है, जिसके लिए कोई भी इंसान जिम्मेदार नहीं है

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हाई कोर्ट ने बीमा कम्पनी के इस तर्क को अस्वीकार करते कहा कि टायर के फटने को ईश्वर का कार्य नहीं कहा जा सकता हैयह मानवीय लापरवाही का कार्य है’ कोर्ट ने अपने फैसले में कहा टायर फटने के कई कारण हैं जैसे तेज रफ्तार, कम हवा, ज्यादा हवा या सेकेंड हैंड टायर और तापमान

कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि ‘वाहन के चालक या मालिक को यात्रा करने से पहले टायर की स्थिति की जांच करनी होती है टायर के फटने को प्राकृतिक कृत्य नहीं कहा जा सकतायह मानवीय लापरवाही है’ हाई कोर्ट ने कहा कि केवल टायर फटने को ईश्वरीय कृत्य कहना बीमा कंपनी को मुआवजा देने से बरी करने का आधार नहीं हो सकता

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