भोपाल
सरकारी एजेंसी के एक चपरासी द्वारा बैंक के अधिकारियों से मिलकर दस करोड़ का गबन करने के एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। इस घोटाले में सरकारी बैंक का एक मैनेजर और एक निजी बैंक का अधिकारी भी शामिल है। आरोपियों ने संस्था की दस करोड़ की FD तुड़वाकर जमीन खरीद ली और फिर उनका इस जमीन पर सरकारी सब्सिडी लेने का प्लान था। लेकिन उससे पहले ही मामले का पर्दाफाश हो गया।अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और करीब नौ करोड़ रुपए भी बरामद किए जा चुके हैं। बची एक करोड़ की रकम और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी करने और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने बैंक के मैनेजर को मुख्य आरोपी बनाया है।
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मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का है जहां भोपाल (Bhopal) पुलिस ने बीज प्रमाणीकरण संस्था में सरकारी धन के 10 करोड़ रुपए के गबन के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। इस संस्था के एक चपरासी ने इस घोटाले में अहम किरदार निभाया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक नोयल सिंह और यश बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर 10 करोड़ रुपए का गबन कर लिया। चपरासी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इमामीगेट शाखा में जमा 5-5 करोड़ की दो एफडी को बैंक मैनेजर की मिली भगत से तोड़कर ये घोटाला किया।
ऐसे उजागर हुआ मामला
बीज प्रमाणीकरण विभाग के प्रमुख सुखदेव प्रसाद अहिरवार ने सितंबर में इस गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। ऑडिट के दौरान पता चला कि एफडी तोड़ी गई और राशि फर्जी कागजों का इस्तेमाल करके ट्रांसफर की गई। पुलिस ने मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपियों ने गबन की राशि को ठिकाने लगाने के लिए पहले से एक प्लान तैयार कर रखा था। उन्होंने इस पैसे से जमीन खरीदी। उनका इरादा इन जमीनों पर लोन लेकर गबन की गई रकम चुकाने का था और साथ ही सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी हासिल करने का भी प्रयास था। लेकिन ऑडिट में हेराफेरी पकड़ में आने के बाद आरोपियों की साजिश उजागर हो गई और वे पकड़े गए।
भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि अब तक 9 करोड़ रुपये बरामद कर लिए गए हैं। सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर नोएल सिंह इस घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता है। नोएल सिंह का तबादला मुंबई हो चुका है और वह फरार है। पुलिस उसके मोबाइल को ट्रेस करने की कोशिश कर रही है।
जांच में पता चला कि बीज प्रमाणीकरण विभाग ने 30 नवंबर 2023 को सेंट्रल बैंक की इमामी गेट ब्रांच में 5-5 करोड़ रुपये की दो एफडी बनवाई थीं। ये एफडी तोड़कर पूरी राशि चपरासी बृजेंद्र दास नामदेव के एचडीएफसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की गई। एफडी पर मिले 66 लाख रुपये के ब्याज की राशि भी दास के खाते में पहुंच गई। इन आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर रकम को बैंक से निकालकर जमीनें खरीदी गई। आरोपियों ने 50 से अधिक फर्जी करंट अकाउंट खुलवा कर रखे थे। पुलिस ने मास्टर माइंड बिजेंद्र दास नामदेव को रीवा से गिरफ्तार किया है। जाली दस्तावेज में बृजेन्द्र दास नामदेव को आहरण एवं वितरण अधिकारी बताया गया था। बैंक मैनेजर नोएल सिंह की मिलीभगत से संस्था की 10 करोड़ रूपये की एफ.डी.आर तोड़ी गई। एफ.डी.आर तोड़कर 5-5 करोड़ की 2 डीडी तैयार की गई थी। एफडीआर को तोड़कर अलग-अलग 50 अकाउंटों में इन रुपये को डाला गया।
आरोपी बीडी नामदेव ने अपने साथियों दीपक पंथी (सहायक ग्रेड-3, लेखा सहायक), एजेंट वरुण कुमार और शैलेंद्र प्रधान (उर्फ आचार्य बाबा) के साथ मिलकर यह घोटाला किया। इन्होंने एजेंसी की तरफ से 2 FDR बैंक में जमा कराए। नोएल सिंह ने एजेंसी के रिकॉर्ड में जाली FDR रख दिए ताकि अधिकारियों को गुमराह किया जा सके। नामदेव को रुपए की निकासी के लिए एजेंसी प्रमुख के नकली सील और जाली हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया। 10 करोड़ रूपये की राशि को ठिकाने लगाने के लिए शैलेन्द्र प्रधान अपने साथियों के साथ मिलकर कई बैंक में फर्जी फर्म तैयार किए। चालू खाते खुलवाए गए एवं 10 करोड़ रूपये को ठिकाने लगाया गया।
आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर धनराशि को बैंक से निकालकर जमीनें खरीदी। आरोपी उस जमीन पर शासन की राष्ट्रीय पशु संवर्धन योजना के तहत सब्सिडी के साथ करोड़ों का लोन लेने की योजना बना रहे थे। जिस योजना को एसआईटी ने पकड़ लिया। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक नोयल सिंह और यश बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया है।
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