अब इस प्रदेश के हर दवा व्यापारी को अपनी दुकान पर लगाने होंगे सीसीटीवी कैमरे, जानिए क्यों?

जम्मू 

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल और लेह जिलों में सभी दवा कारोबारियों को अब अपनी-अपनी दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। प्रशासन ने सभी दवा व्यापारियों को निर्देश दिए हैं कि वह अप्रेल माह में आवश्यक रूप से अपनी दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवा लें। अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी

दरअसल केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में नशे के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान में तेजी लाने के लिए सभी दवाई की दुकानों पर कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं। दवा व्यापारियों को इस काम के लिए पूरा अप्रेल माह की समयावधि दी गई है। इसके बाद मई माह में उन दवाई विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे जिनकी दुकानों पर कैमरे नहीं लगे होंगे।

यह कार्यवाही नारकाटिक्स कंट्रोल ब्यूरो व नेशनल कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स द्वारा बच्चों को नशे से बचाने के लिए बनाए गए संयुक्त एक्शन प्लान के तहत की जा रही है। मई महीने से स्वास्थ्य विभाग की टीमें दवाईयों की दुकानों पर छापे मार कर यह सुनिश्चित करना शुरू कर देंगी कि उन्हें दुकानों पर कैमरे लगाए हैं या नहीं।

कारगिल के डिप्टी कमिश्नर संतोष सुखदेवे ने इस दिशा में पहल करते हुए न सिर्फ आदेश जारी किया है। उनके आदेश जारी करने के बाद लेह प्रशासन ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं। लेह प्रशासन ने ड्रग कंट्रोल अधिकारियों को इस आदेश को जिले में भी प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने को कहा है।

लद्दाख के दोनों जिलों में प्रशासन ने स्वाथ्य विभाग को भी निर्देश दिए कि सुनिश्चित किया जाए कि तय समय अवधि में सभी दवाई विक्रेता सीसीटीवी कैमरे लगवा लें। दुकानों पर दवाईयों की बिक्री की कड़ी निगरानी हो। जिला प्रशासन की ओर से यह कार्यवाही ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के तहत की जा रही है। इस एक्ट के तहत दवाई विक्रेता बच्चों को कोई भी ऐसी दवा नहीं  बेच सकते हैं जिनमें नशीला पदार्थ हो।

कभी भी जांच कर सकते हैं कैमरे की रिकार्डिंग
लेह के ब्लाक मेडिकल आफिसर डा इकबाल अहमद का कहना है कि आदेश को सख्ती से प्रभावी बनाया जाएगा। नशे की रोकथाम के लिए बनाए संयुक्त एक्शन प्लान के कैमरों से दवाईयों की बिक्री पर नजर रखी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ इंस्पेक्टर किसी भी समय दुकान में जाकर कैमरे की रिकार्डिंग की जांच कर सकते हैं। कैमरे की रिकार्डिंग में यह देखा जाएगा कि दवाई विक्रेताओं द्वारा बच्चों को कोई प्रतिबंधित दवाईयों तो नहीं बेची जा रही।

इससे दवा विक्रेता डाक्टर के नुस्खे के बिना ऐसी कोई दवा नहीं  दे पाएंगे जिसमें नशा हो। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई गई रणनीति के तहत मई महीने से स्वास्थ्य विभाग की टीमें दवाईयों की दुकानों पर छापे मारना शुरू कर देंगी। ऐसे में कैमरे न लगाने वाली दुकानों का लाइसेंस सस्पेंड भी किया जा सकता है।

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