नई दिल्ली
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice Bhushan Ramakrishna Gavai) बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन गए। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित सादे मगर गरिमामय समारोह में शपथ दिलाई। जस्टिस गवई की नियुक्ति निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) के सेवानिवृत्त होने के बाद की जा रही है। वे 23 नवंबर, 2025 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे।
महाराष्ट्र (Maharashtra) से आने वाले जस्टिस गवई देश की न्यायपालिका के इतिहास में दलित समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले वर्ष 2007 से 2010 तक केजी बालकृष्णन इस पद पर रहे थे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (सेवानिवृत्त) और अन्य शीर्ष न्यायाधीशों व गणमान्य लोगों की मौजूदगी रही।
LIVE: Swearing-in-Ceremony of the Chief Justice of India Shri Justice Bhushan Ramkrishna Gavai at Rashtrapati Bhavan https://t.co/KSRP8wDqpz
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 14, 2025
जस्टिस गवई का कार्यकाल हालांकि महज कुछ महीनों का होगा (नवंबर 2025 तक), लेकिन कानूनी जगत को उनसे महत्वपूर्ण फैसलों की उम्मीद है। उन्होंने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कई संवैधानिक मामलों में साहसिक फैसलों से अपनी छाप छोड़ी है।
जस्टिस गवई, प्रमुख अंबेडकरवादी नेता और पूर्व राज्यपाल आर.एस. गवई के पुत्र हैं। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की डिग्री लेने के बाद 1985 में वकालत शुरू की थी। वर्ष 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। मई 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था।
भावुक पल: मां की आंखों में आंसू, पूरे गांव में जश्न
शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही जस्टिस गवई का नाम ट्विटर और सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। अमरावती स्थित उनके पैतृक गांव में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया गया। एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा, ‘पहली बार लग रहा है कि हमारे घर का बेटा दिल्ली की कुर्सी पर बैठा है।’
चुनौतियों भरा होगा कार्यकाल
जस्टिस गवई का कार्यकाल केवल 6 महीने का है, यानी वे नवंबर 2025 में रिटायर होंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित संवैधानिक मामलों और नियुक्तियों जैसे कई महत्वपूर्ण मसले उनकी प्राथमिकता में होंगे। खासकर कॉलेजियम सिस्टम की पारदर्शिता को लेकर उनसे बड़े सुधारों की उम्मीद की जा रही है।
कई ऐतिहासिक फैसलों में निभाई अहम भूमिका
जस्टिस गवई की न्यायिक यात्रा कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों से जुड़ी रही है। वे सुप्रीम कोर्ट की उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं, जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। इसके अलावा वे चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच सदस्यीय पीठ में भी शामिल थे।
नोटबंदी को वैध ठहराया: जस्टिस गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा था कि यह निर्णय आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया गया था और यह असंवैधानिक नहीं था।
ईडी निदेशक के कार्यकाल को बताया अवैध: जुलाई 2023 में उन्होंने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को अवैध करार दिया और 31 जुलाई तक पद छोड़ने का आदेश दिया।
बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त रुख: 2024 में, उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है और ऐसी कार्रवाई के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई: 2022 में उनकी पीठ ने 30 साल से जेल में बंद छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था, यह कहते हुए कि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की थी।
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