मां

मदर्स डे 

डॉ. विनीता राठौड़  


ईश्वर की सर्वोच्च अनुपम कृति है माँ,
इस धरा पर स्वयं ईश्वर का प्रतिरूप है माँ।
ब्रह्मा द्वारा रचित सृष्टि की रचना का सार है माँ,
हमारे चेतन व अवचेतन की रचनाकार है माँ।

विष्णु सम हम सबकी पालनहार है माँ,
आसुरी प्रवृत्ति नाशक, आत्मा का परिष्कार है माँ।
शक्ति स्वरूपा साक्षात दुर्गा है माँ,
न्याय की मूर्ति, राम सी मर्यादा है माँ।

नेह का सागर, ममता की मूरत है माँ,
मन मोहिनी जग में सबसे सुन्दर है माँ।
हम सब की प्रथम गुरू है माँ,
दुनियादारी सिखाने वाली गीता का ज्ञान है माँ।

सर्दी में कोमल कंबल की गुनगुनाहट है माँ,
गर्मी में जल की शीतल बौछार है माँ।
वर्षा में मजबूत छतरी की ढाल है माँ,
धूप में घने वट-वृक्ष की छांव है माँ।

अंधकार में दीपक की जगमगाहट है माँ,
निराशा में आशा की किरण है माँ।
उदासी में आस बंधाती मधुर राग है माँ,
खुशियों में सुमधुर बांसुरी की तान है माँ।

 जीवन रंगीन बनाने में होली का गुलाल है माँ,
जीवन तराशने में सक्षम पारखी जौहरी है माँ।
लौह को स्वर्ण बनाने वाली पारस पत्थर है माँ,
पूजा पूर्ण करने वाली भाल का तिलक है माँ।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा, राजसमन्द में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)