बैंक अधिकारियों ने ही की थी ग्राहकों की डिटेल्स लीक, हाईकोर्ट ने दिए पूरी जांच के आदेश

पटना 

साइबर क्राइम के मामले में ग्राहकों की डिटेल्स लीक करने में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के एक अधिकारी की मिलीभगत सामने आई है। पटना हाईकोर्ट (Patna high Court) ने पुलिस अधीक्षक को मामले में शामिल आरोपियों और अन्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साइबर अपराध की स्टेटस रिपोर्ट पर विस्तृत जवाब भी मांगा। कोर्ट इस बैंक अधिकारी की अग्रिम जमानत की खारिज खारिज कर चुका है।

हाईकोर्ट ने साइबर अपराध (Cyber Crime) मामले में अन्वेषण के निर्देश दिए। मामले में आईपीसी की धारा 419 के साथ पठित 420 और आईटी की धारा 66 (बी) के तहत आरोप तय किए गए हैं। न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने कहा, “यह कोर्ट समझता है कि स्थानीय पुलिस साइबर धोखाधड़ी की जांच में अक्षम है और इसके लिए उसे जिले के अन्य पुलिस अधिकारियों की मदद लेनी पड़ती है। इस न्यायालय की राय में, साइबर अपराधियों द्वारा कोई भी साइबर धोखाधड़ी बैंक अकाउंट डिटेल्स, खाताधारकों के फोन नंबर बैंक कर्मचारियों द्वारा लीक किए जाने के बाद ही की जाती है।

कोर्ट ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि महानिदेशक (जांच), आयकर विभाग, बिहार, पटना और उप निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, पटना, स्थानीय पुलिस द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर कार्रवाई करेंगे और उन अपराधियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति/भारी संपत्ति के स्रोत के बारे में पूछताछ करने के बाद, वे आयकर अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत सभी कदम उठाएंगे।

यह है मामला
याचिकाकर्ता आरोपी के पास से बड़े पैमाने पर आम जनता के साथ धोखाधड़ी करने के उद्देश्य से 28 पेज में मोबाइल नंबर पाए गए थे। इससे पहले कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज करते हुए पुलिस अधीक्षक को मामले में शामिल आरोपियों और अन्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट क्षेत्र में साइबर अपराध की स्टेटस रिपोर्ट पर विस्तृत जवाब भी मांगा।

पुलिस अधीक्षक ने कोर्ट को बताया कि वे साइबर अपराधियों और अन्य अपराधियों को पकड़ने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं जो इस प्रकार के अपराधों में शामिल हैं और उनमें से कई अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कोर्ट को बताया कि दोषपूर्ण ‘ऐप’ के कारण बैंक में इस तरह का साइबर अपराध हो रहा है और उन्होंने PNB अधिकारियों और उनके ‘ऐप्स’ में भी खामियां पाई हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि साइबर अपराधों को कम करने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा कदम उठाए गए हैं।

इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिए कि “पीएनबी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से परामर्श कर बैंक में साइबर धोखाधड़ी को कम करने के लिए अपने ‘ऐप्स’ में आवश्यक संशोधन करे ताकि साइबर अपराधियों द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों को धोखा न दिया जाए।

मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता ऐसा अपराध
कोर्ट ने कहा कि बैंक अधिकारी इस तरह की धोखाधड़ी में पूरी तरह से शामिल हैं। पीएनबी के कर्मचारियों में से एक साइबर क्राइम में शामिल है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और उसकी मिलीभगत के बिना इस तरह का अपराध नहीं हो सकता।

पीठ ने निर्देश दिया कि पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस आदेश का उपयोग आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए नहीं करेंगे, लेकिन यदि जांच के दौरान सामग्री प्राप्त होती है, तो वह बैंक के किसी भी अधिकारी सहित किसी को भी नहीं बख्शेगा।

बेंच ने बैंक को सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपना जवाब दाखिल करने और यह स्पष्ट बयान देने का भी निर्देश दिया कि वे कब खाताधारकों को ठगी गई राशि को वापस करने जा रहे हैं या वे पहले ही खाताधारकों को ठगी गई राशि वापस कर चुके हैं।

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