सतत विकास उत्पादकता वृद्धि द्वारा ही संभव

International Productivity Day

सीएमए डॉ. मीनू महेश्वरी


विश्व भर में 20 जून को प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय उत्पादकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय उत्पादकता दिवस कई कारणों से महत्व रखता है। उत्पादकता में वृद्धि से ही उत्पादन और दक्षता बढ़ती है, जो कि सम्पूर्ण विश्व में आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान देती है। उत्पादकता वृद्धि के द्वारा देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने भी 1958 में राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की स्थापना की तथा प्रतिवर्ष 12 फरवरी को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस के रूप में मनाना प्रारम्भ किया।

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सतत् विकास एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य भविष्य की पीढियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करना है। वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र की 70 वीं महासभा में इसके सदस्य देशों द्वारा वर्ष 2030 तक मानव जाति को शांति, समृद्धि के साथ विकास एवं गरिमापूर्ण जीवन अवसर सुनिश्चित कराने के लिए सार्वभौमिक आह्वान के रूप में सतत् विकास (एस डी जी) के 17 लक्ष्यों का निर्धारण किया गया। इन लक्ष्यों के माध्यम से सामाजिक विकास, आर्थिक विकास एवं पर्यावरणीय स्थिरता तथा संतुलन को सुनिश्चित करने की दिशा एवं दशा तय की गई है।

परन्तु सतत् विकास उत्पादकता वृद्धि द्वारा ही संभव है। सतत् विकास के लिए उत्पादकता वृद्धि का योगदान विस्तृत रूप से समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करना होगा। जैसे- आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा, नवीन तकनीक का उपयोग, कार्बन उत्सर्जन में कमी, प्रदूषण में कमी, सामाजिक विकास, पर्यावरण संरक्षण आदि।

इस प्रकार उत्पादकता वृद्धि सतत् विकास का एक महत्पूर्ण घटक है। इसके माध्यम से न केवल आर्थिक विकास व सामाजिक सुधार सभंव है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, संसाधनों के कुशल उपयोग को भी बढ़ावा मिलता है। आज आवश्यकता है कि सरकारें, संगठन और समाज को मिलकर ऐसी नीतियां और प्रक्रियाएं बनानी और अपनानी चाहिए जो उत्पादकता वृद्धि को प्रोत्साहित करें और सतत् विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करें।

(लेखिका, कोटा विश्वविद्यालय कोटा में वाणिज्य एवं प्रबन्ध विभाग की विभागाध्यक्ष हैं) 

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