नई दिल्ली
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला
शिक्षकों की सफलता की कहानी प्रकाश में आनी चाहिए। यह बात अंग्रेजी साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला के प्रथम सत्र में ‘प्रिंट मीडिया और शिक्षक संगठन’ विषय पर अपने उद्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि आजकल सफलता की कहानियां अधिक पढ़ी जाती हैं। इसलिए शिक्षकों की सफलता की कहानी भी सामने लाई जानी चाहिए।
प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि ऐसी सफलता की कहानियां सामने लाने के लिए प्रिंट मीडिया सर्वोत्तम है क्योंकि आज भी उसके प्रति जनता के मन में विश्वसनीयता बनी हुई है। जनता यह मानकर चलती है कि प्रिंट मीडिया में जो समाचार प्रकाशित हो रहा है वह सही है। उन्होंने कहा कि इसकी विशेषता ही यही है कि समाचार में नयापन और कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा शामिल किया जाता है। हर अखबार अपनी एक्सक्लूसिव स्टोरी चाहता है। ऐसे में हमें भी चाहिए कि संगठन के विभिन्न स्तरों पर शिक्षकों की सफलता की कहानी को अधिकाधिक प्रकाश में लाएं। पत्रकारों को विषयवस्तु की विस्तार से सही जानकारी दें। इस सत्र का संचालन मीडिया टोली सदस्य प्रो. सुभाष अठावले ने किया।
टेलीविजन मीडिया सुर्खियों पर चलता है: प्रो. केजी सुरेश
द्वितीय सत्र में ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभावी उपयोग’ विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बताया कि टेलीविजन मीडिया का प्रभाव व्यापक है। कोरोना काल में इस मीडिया ने लोगों को बहुत अधिक आकर्षित किया है। घर में रहकर देश व समाज में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी इस माध्यम से प्राप्त की। लेकिन टेलीविजन में एजेंडा आधारित पत्रकारिता है। इसमें खबरों को तोड़ मरोड़ कर भी पेश किया जाता है। प्रो. केजी सुरेश ने फेक नरेटिव को प्रस्तुत करना जैसी बातों पर गहराई से प्रकाश डाला और अनेक उदाहरणों से स्पष्ट किया। उन्होंने विभिन्न मुद्दों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि टेलीविजन मीडिया तक अपनी राय प्रकट करना एवं नकली मुद्दों पर कम से कम शब्दों में काउंटर कर सत्य को समाज तक ले जाएं। उन्होंने कहा कि इस हेतु विषयों की गहराई से समझ रखना बहुत जरूरी है। अच्छी तरह से विषय का प्रस्तुतीकरण करना, विषय पर गहराई से अनुसंधान एवं उन पर लिखने की क्षमता होनी चाहिए। टीवी पर अपनी बात को तथ्यों के साथ मजबूती से रखना चाहिए। टेलीविजन में शॉट की महत्ता है। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात को रखना ही टेलीविजन मीडिया की समझ है।
इस सत्र का संचालन अखिल भारतीय सह-मीडिया प्रमुख बसंत जिंदल ने किया। अखिल भारतीय मीडिया प्रकोष्ठ प्रमुख विजय कुमार सिंह ने प्रस्तावना रखी। संगठनात्मक चर्चा करते हुए अखिल भारतीय महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा ने बताया कि शिक्षकों द्वारा संगठन के कार्यों को जन-जन तक मीडिया के माध्यम से ले जाया जा सकता हैं। शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का वाहक है। शिक्षकों में सीखने की सतत लालसा होनी चाहिए और बदलाव के साथ समयानुसार तैयार रहना होगा। संगठन गीत देवकृष्ण व्यास द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में 220 कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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