चेन्नई
महिला वकीलों खासतौर से युवा माता वकीलों की समस्या को ध्यान में रखते हुए एक अनूठी पहल की गई है। देश के एक हाईकोर्ट ने यह कदम उठाते हुए ऐसी युवा माता वकीलों को सुविधा प्रदान की है कि वह अपने केसों में बहस के लिए अपनी सुविधाजनक टाइम का स्लॉट ले सकती हैं।
मद्रास हाई कोर्ट ने यह अनूठा कदम उठाया है। हाई कोर्ट के यह ध्यान में लाया गया था कि महिला वकीलों खासतौर से युवा मां हैं; उनको बहस के समय को लेकर विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस पर हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने व्यवस्था दी है कि ऐसी वकील जो युवा माता भी हैं, अपने केस की सुनवाई के लिए अलग से टाइम स्लॉट मांग सकती हैं। इसके लिए उन्हें अदालत को पहले सूचित करना होगा और मामले का ब्योरा भी एक दिन पहले उपलब्ध कराना होगा।
मदुरै पीठ के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने इस बाबत बार के पदाधिकारियों को एक पत्र जारी कर ऐसी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसी छूट लेने वाली स्वतंत्र प्रैक्टिस करने वाली महिला वकीलों को भी पहले ही अच्छी तरह से तैयारी कर के आना चाहिए। ताकि वे अदालत के कम से कम समय का उपभोग करें।
अदालत ने यह भी बताया कि यह लाभ केवल स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने वाली महिला वकीलों द्वारा मांगा जा सकता है। उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी जो अपने मेल सीनियर के कार्यालय का हिस्सा हैं।
यह घटना सामने आने के बाद उठाया कदम
अदालत ने ये निर्देश एक घटना के बाद दिए जिसमें एक पुरुष वकील ने स्थगन की मांग की क्योंकि उसे अपने बच्चे को लेने स्कूल जाना था। उसने कहा था कि शाम को मामले की सुनवाई में पेश होना असुविधाजनक होगा। जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि ‘इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। मेरे सामने कुछ युवा माताएं प्रैक्टिस कर रही हैं। उन्हें भी ऐसी ही कठिनाइयां हो सकती हैं। मुझे लगता है कि उनका साथ देना मेरा कर्तव्य है।
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