आगरा
उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में इन दिनों महिलाओं को लेकर पुलिस की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि उसके पास महिलाओं के ऐसे-ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि पुलिस चक्करघिन्नी बन गई है। मामले सब घरेलू विववाद के हैं, लेकिन आगरा में महिलाओं के जो मामले दर्ज हो रहे हैं प्राय: उन सब में एक फरमाइश कॉमन है और वो ये कि पुलिस उनके पतियों को थाने बुलाए और हवालात में बंद कर उनको धुन डाले। पर साथ में महिलाएं ये नहीं चाहतीं कि उनका घर टूटे।
जानकारी के अनुसार आगरा जिले के थानों में रोजाना 60 प्रतिशत मामले ऐसे आ रहे हैं जो घरेलू विवाद से जुड़े हुए हैं । इनमें पीड़ित महिलाएं तुरंत एक्शन चाहती हैं। लेकिन ये महिलाएं जो चाहती हैं उसको सुनकर आप सन्न रह जाएंगे। महिलाएं चाहती हैं कि पुलिस उनके पतियों को थाने बुलाए। हवालात में बंद करे और धुन डाले। महिलाएं चाहती हैं कि तत्काल मुकदमा हो जाए। अब महिलाओं की ऐसे फरमाइश सुनकर पुलिस परेशान है। समझ नहीं पा रही है कि पति-पत्नी के बीच बढ़ते विवादों को कैसे निपटारा करें।
एसएसपी ऑफिस में में भी रोजाना 50 से 60 पीड़ित महिलाएं अपनी शिकायतें लेकर पहुंच जाती हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें घरेलू विवादों की होती हैं। पुलिस पति-पत्नी के बीच समझौते के प्रयास के लिए पहले काउंसलिंग कराना चाहती हैं। पुलिस थानों पर भी पंचायत कराती है। एक विवाद में घंटों पंचायत चलती है मगर बहुत कम मामलों में ही कोई नतीजा निकल पाता है।
शुक्रवार को एक पीड़िता न्यू आगरा थाने आई थी। पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाया। चार साल पहले शादी हुई थी। विवाहिता अब पति के साथ रहने को तैयार नहीं। वह चाहती थी कि पुलिस उसके साथ ससुराल जाए। उसके गर्म कपड़े और प्रमाण पत्र दिलवा दे। पुलिस तैयार हो गई। पुलिस जाती इससे पहले थाने में ही दोनों पक्षों में तकरार हो गई। विवाहिता ने कहा कि उसे अपने गहने भी चाहिए। ससुरालीजन यह कहने लगे कि गहने तो बहू पहले ही ले जा चुकी है। पुलिस ने जैसे-तैसे ससुरालीजनों का समझाया। बताया कि बहू मुकदमा नहीं चाहती। विवाद को बढ़ाने से क्या फायदा। उसका सामान वापस कर दें। बाद में तय हुआ कि गहने छोड़कर विवाहिता ससुराल में रखा अपना पूरा सामान लेकर जा सकती है।
ये हैं विवाद के असली कारण
घरेलू विवाद के ज्यादातर मामलों यही शिकायतें हैं कि पति देर रात घर लौटता है। शराब पीता है। खर्चा नहीं देता। वह मोबाइल पर व्यस्त रहता है। दूसरी महिला से अफेयर है। जब भी फोन मिलाओ उल्टा ही जवाब देता है। किसी दूसरी महिला का फोन आ जाए तो हंस कर बात करता है। पति शक करता है। चोरी छिपे मोबाइल चेक करता है। बाद में झगड़ा करता है। महिलाएं पति के साथ अलग घर में रहना चाहती हैं।
तत्काल निस्तारण चाहती हैं पीड़िताएं
पुलिस ने बताया कि ज्यादातर पीड़ित महिलाएं मुकदमा तक नहीं लिखाना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि पुलिस बस पति को बुलाए। हड़काए। उसे यह अहसास कराए कि पत्नी को परेशान किया तो जेल जाना पड़ेगा। पुलिस थोड़ी सख्ती भी करे। कुछ देर के लिए पति को हवालात में बंद कर दे और उनको धुन भी दे।
पहले परिवार के बुजुर्ग किया करते थे, अब पुलिस को करना पड़ रहा है
पुलिस के अनुसार कोशिश यही रहती है कि परिवार बच जाए। पहले यह काम परिवार के बुजुर्ग किया करते थे। अब पुलिस को करना पड़ता है। कई बार त्वरित निस्तारण के प्रयास भी मामला बिगाड़ देते हैं। कई पति ऐसे जिद्दी होते हैं कि थाने में हुई बेइज्जती को दिल से लगा देते हैं। यह ठान लेते हैं कि अभी किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेंगे। इसलिए पुलिस दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाती है। यह देखती है कि किसकी क्या गलती है।
तहरीर में इन आरोपों से पुलिस परेशान
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विवाहिताएं जो प्रार्थना पत्र देती हैं उनमें लिखे आरोपों से समझौते की संभावनाएं कम हो जाती हैं। पैरोकार विवाहिताओं को गलत सलाह देते हैं। दस में छह प्रार्थना पत्र में अब ससुर और देवर पर बुरी नजर रखने के आरोप लगाए जाते हैं। यह भी लिखा जाता है कि यह जानकारी सास को दी तो मगर उन्होंने भी डांट दिया। पति को बताया तो उसने पीटा।
महिलाएं नहीं चाहती हैं घर टूटे
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि पीड़िता से सबसे पहला सवाल यही पूछा जाता है कि क्या वह पति के साथ रहना चाहती है। बड़ी संख्या में महिलाएं यही चाहती हैं कि उनका परिवार नहीं टूटे। ऐसे मामलों में समझौते के प्रयास किए जाते हैं। जहां समझौते की कोई गुंजाइश नहीं दिखती वहां मुकदमे लिखाए जाते हैं। कई मामले ऐसे भी आते हैं जिनमें वास्तव में विवाहिताओं के साथ मारपीट की जाती है। ऐसे मामलों में तत्काल मेडिकल कराकर मुकदमे लिखाए जाते हैं। पति सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कराया जाता है।
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