राजस्थान हाईकोर्ट को मिला एक और नया जज, तीन साल की लंबी प्रक्रिया के बाद लगी केंद्र की मुहर

नई दिल्ली 

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) को आखिरकार नया न्यायाधीश (judge) मिल गया है केंद्र सरकार ने तीन साल के इंतजार के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष शर्मा (Manish Sharma) की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) द्वारा 2021 में की गई सिफारिश के बाद आई है, जिससे एक लंबे समय से लंबित प्रक्रिया का अंत हुआ। राष्ट्रपति भवन से शुक्रवार को नियुक्ति वारंट जारी किए गए, और अब राजस्थान हाईकोर्ट में नए न्यायाधीश की आधिकारिक एंट्री हो गई है।

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सोमवार को शपथ ग्रहण की संभावना
सूत्रों के मुताबिक, नवनियुक्त जज मनीष शर्मा सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर मुख्यपीठ में शपथ ले सकते हैं। कानून मंत्री ने इस नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने भारतीय संविधान के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट में एक वरिष्ठ अधिवक्ता को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है।”

तीन साल की प्रतीक्षा खत्म
नव नियुक्त न्यायाधीश मनीष शर्मा की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा 2021 में की गई थी, लेकिन तीन साल तक यह मामला लंबित रहा। अब केंद्र की मंजूरी के बाद, हाईकोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों का एक और अध्याय पूरा हुआ है।

कौन हैं जस्टिस मनीष शर्मा?

  • 1993 से कानूनी प्रैक्टिस में सक्रिय।
  • सेशन कोर्ट से हाईकोर्ट तक का व्यापक अनुभव।
  • हाई प्रोफाइल केसों में मजबूत पकड़।

राजस्थान हाईकोर्ट में अब 34 जज, फिर भी 16 पद खाली
मनीष शर्मा की नियुक्ति के साथ, राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 34 न्यायाधीश हो जाएंगे। हालांकि, हाईकोर्ट में 50 जजों के स्वीकृत पद हैं, यानी अभी भी 16 पद खाली हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में पूरी संख्या में जजों की नियुक्ति कभी भी पूरी नहीं हुई, जिससे लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।

हाल ही में तीन न्यायिक अधिकारी भी बने जज

  • लगभग 22 दिन पहले, राजस्थान हाईकोर्ट को न्यायिक कोटे से तीन नए जज मिले थे:
  • जस्टिस चंद्रशेखर शर्मा
  • जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर
  • जस्टिस चंद्रप्रकाश श्रीमाली

ये तीनों ही 1992 बैच के न्यायिक अधिकारी हैं।

आगे क्या?
मनीष शर्मा की नियुक्ति के बाद भी राजस्थान हाईकोर्ट में जजों की कमी बनी हुई है, जिससे अदालतों में हजारों मुकदमे लंबित हैं। न्यायपालिका में सुधार के लिए और नियुक्तियों की आवश्यकता है, जिससे मुकदमों के तेजी से निपटारे का रास्ता साफ हो सके। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार कब तक हाईकोर्ट में बाकी बचे 16 पदों को भरने के लिए कदम उठाती है।

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