जयपुर
राजस्थान (Rajasthan) में झुंझुनू (Jhunjhunu) जिले के चुड़ैला से संचालित निजी विश्वविद्यालय (University) श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टिबरेवाला विश्वविद्यालय (JJT University) पर फर्जी PhD डिग्रियां बेचने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की जांच में इस यूनिवर्सिटी द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने की पुष्टि हुई, जिसके बाद इसके PhD कोर्सेज पर पूरे 5 साल के लिए बैन लगा दिया गया है।
4,000 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां, 150 करोड़ से बड़ा खेल
UGC की जांच में सामने आया कि इस विश्वविद्यालय ने साल 2016 से 2025 के बीच करीब 4,000 फर्जी PhD डिग्रियां बांट दीं। एक एडमिशन के लिए 3 से 5 लाख रुपये तक वसूले गए, यानी इस गोरखधंधे से करीब 100 से 150 करोड़ रुपये की काली कमाई की गई।
कैसे खुला यह घोटाला?
फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने के बाद UGC ने मार्च-अप्रैल 2024 में इस विश्वविद्यालय के PhD प्रोग्राम की गहन जांच शुरू की। जब आयोग ने 2016 से 2020 तक दी गई PhD डिग्रियों का पूरा रिकॉर्ड मांगा, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए—
- सुपरवाइजर, एग्जामिनर और विषय विशेषज्ञों का रिकॉर्ड गायब मिला
- एंट्रेंस एग्जाम और रिसर्च पेपर का कोई प्रमाण नहीं
- डिग्रियां धड़ाधड़ बांटी गईं, बिना किसी अकादमिक प्रक्रिया के
UGC ने दिया तगड़ा झटका
जांच के दौरान UGC ने 3-4 बार यूनिवर्सिटी प्रशासन से सफाई मांगी, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद आयोग ने 5 साल के लिए इस यूनिवर्सिटी के PhD एडमिशन पर रोक लगा दी। UGC ने साफ कर दिया है कि 2021 से 2025 तक जारी की गई सभी PhD डिग्रियों की अलग से जांच होगी और उसके बाद ही आगे कोई फैसला लिया जाएगा।
पहले भी विवादों में रह चुका है यह संस्थान
जानकारी के मुताबिक, यह यूनिवर्सिटी पहले भी ब्लड बैंक से जुड़े विवादों में फंस चुकी है। अब फर्जी PhD घोटाले ने इसे फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है।
अब क्या होगा?
अब सवाल यह है कि इस घोटाले में फंसे छात्रों का भविष्य क्या होगा? क्या उन डिग्रियों को रद्द किया जाएगा? क्या इस गोरखधंधे में शामिल लोगों पर कानूनी शिकंजा कसेगा?
UGC के इस बड़े फैसले से देशभर के छात्रों और शिक्षाविदों में हड़कंप मच गया है। अब देखना होगा कि यह मामला अगले 5 सालों में और कौन-कौन से बड़े खुलासे करता है।
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