नई दिल्ली
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए महिला प्रोफेसरों को बड़ी राहत दी है। यूजीसी ने यूजीसी रेगुलेशन 2025 में नए नियम को शामिल किया है। इसके तहत महिला प्रोफेसरों को 2 साल तक लीव मिल सकती है।
UGC के नए नियम के आनुसार अब महिला प्रोफेसरों को दो साल तक चाइल्ड केयर लीव देने का प्रावधान किया है। महिला प्रोफेसर अब अपने बच्चों की देखभाल के लिए दो साल तक चाइल्ड केयर लीव ले सकेंगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस सुविधा को यूजीसी रेगुलेशन 2025 में शामिल किया है। यूजीसी के इस नए नियम के तहत, यदि कोई शिक्षण संस्थान चाइल्ड केयर लीव देने से इनकार करता है, तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। कार्रवाई के रूप में:
- संस्थान के डिग्री प्रोग्राम में दाखिले पर रोक।
- संस्थान पर भारी जुर्माना।
- संबंधित कोर्स की मान्यता रद्द।
- संस्थान को पूरी तरह डीबार करना शामिल है।
महिला प्रोफेसरों की लंबे समय से थी मांग
यूजीसी के अध्यक्ष, प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि महिला प्रोफेसरों की लंबे समय से यह मांग थी कि उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त समय मिले। इस मुद्दे पर उन्हें कई शिकायतें मिली थीं, जो सीधे महिला अधिकारों और कार्यस्थल की समानता से जुड़ी थीं। उन्होंने कहा, “यह नया प्रावधान महिला प्रोफेसरों को अपने परिवार और करियर के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगा। शिक्षण संस्थानों को इसे अनिवार्य रूप से लागू करना होगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।”
महिला प्रोफेसरों की लंबे समय से थी मांग
यूजीसी के अध्यक्ष, प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि महिला प्रोफेसरों की लंबे समय से यह मांग थी कि उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त समय मिले। इस मुद्दे पर उन्हें कई शिकायतें मिली थीं, जो सीधे महिला अधिकारों और कार्यस्थल की समानता से जुड़ी थीं। उन्होंने कहा, “यह नया प्रावधान महिला प्रोफेसरों को अपने परिवार और करियर के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगा। शिक्षण संस्थानों को इसे अनिवार्य रूप से लागू करना होगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।”
नियम न मानने पर क्या होगी सज़ा?
यदि कोई संस्थान इन नियमों का पालन नहीं करता, तो यूजीसी संबंधित संस्थान पर सख्त कार्रवाई करेगी। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि सभी महिला प्रोफेसरों को उनका अधिकार दिया जाए।
महिला प्रोफेसरों के लिए राहत या अधिकार?
इस प्रावधान को लागू करके यूजीसी ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब महिला प्रोफेसरों को अपने बच्चों की देखभाल के लिए करियर पर समझौता नहीं करना पड़ेगा। अब यह एक कानूनी अधिकार बन गया है।
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शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं के लिए क्या बदलेगा?
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को एक सकारात्मक और सुविधाजनक माहौल प्रदान करेगा। यह कदम उन्हें आत्मनिर्भरता और परिवार के प्रति जिम्मेदारियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने में सहायक होगा।
UGC का यह कदम केवल महिला प्रोफेसरों के लिए राहत नहीं, बल्कि उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भी है।
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