ट्रेन में सफर करने वाले हर यात्री को नहीं मिलेगी लोअर बर्थ, रेलवे ने बदला नियम | जानिए वजह और किसे मिलेगी प्राथमिकता

नई दिल्ली 

अगर आप ट्रेन में सफर करते हैं और लोअर बर्थ यानी निचली सीट पर ही सोने की आदत रखते हैं, तो यह खबर आपके लिए झटका है। भारतीय रेलवे ने लोअर बर्थ के नियम बदल दिए हैं। अब हर किसी को लोअर बर्थ नहीं मिलेगी। रेलवे ने साफ कर दिया है कि लोअर बर्थ पर पहला हक सिर्फ उन्हीं का होगा जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है — बुजुर्ग, दिव्यांग और 45 साल से ऊपर की महिलाएं।

ये बदलाव सिर्फ एक टिकट बुकिंग नियम नहीं, बल्कि रेलवे की सोच में बड़ा बदलाव है। अब रेलवे कह रहा है कि लोअर बर्थ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ का खेल नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की प्राथमिकता है। लाखों यात्रियों को इससे झटका लग सकता है, क्योंकि लोअर बर्थ पर उनकी पकड़ पहले जैसी मजबूत नहीं रहेगी।

किन्हें मिलेगी प्राथमिकता?

रेलवे ने लोअर बर्थ को तीन खास वर्गों के लिए रिजर्व कर दिया है:

✅ सीनियर सिटीजन

  • पुरुष: 60 साल या उससे ज्यादा

  • महिलाएं: 58 साल या उससे ज्यादा

✅ 45 साल से ऊपर की महिलाएं

  • कोई अलग सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, सिर्फ उम्र टिकट में दर्ज होनी चाहिए।

✅ दिव्यांग यात्री

  • वैलिड डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट अनिवार्य।

चाहे बुकिंग के वक्त इन यात्रियों ने लोअर बर्थ चुनी हो या नहीं, रेलवे का सिस्टम खुद-ब-खुद उन्हें पहले लोअर सीट अलॉट करेगा।

कितनी लोअर बर्थ रिजर्व होंगी?

रेलवे ने हर क्लास में लोअर बर्थ की गिनती तय कर दी है:

स्लीपर क्लास: 6–7 लोअर बर्थ
AC 3 टियर: 4–5 लोअर बर्थ
AC 2 टियर: 3–4 लोअर बर्थ

अगर इन कैटेगरी के लोग कम हैं या सीटें बच रही हैं, तभी आम यात्रियों को लोअर बर्थ मिलेगी।

अब आम यात्री क्या करें?

अगर आप सीनियर सिटीजन, दिव्यांग या 45+ महिला नहीं हैं, तो ये तरीके ट्राय करें:

🔸 जल्दी टिकट बुक करें, क्योंकि लोअर बर्थ पहले-आओ-पहले-पाओ भी होती हैं।
🔸 टिकट बुक करते समय लोअर बर्थ प्रेफरेंस जरूर चुनें।
🔸 अगर आरक्षित सीटें बच जाएं, तो आम यात्री को भी लोअर बर्थ मिल सकती है, पर इसकी कोई गारंटी नहीं।

क्यों लिया रेलवे ने यह फैसला?

रेलवे कहता है — “बुजुर्गों के लिए ऊपर की बर्थ पर चढ़ना मुश्किल है, दिव्यांग यात्रियों के लिए तो नामुमकिन। अकेली महिला यात्रियों के लिए लोअर बर्थ ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक होती है।” पहले ऐसे लोग टीटी से बर्थ बदलवाने के लिए परेशान होते थे। अब ये झंझट खत्म करने के लिए ही रेलवे ने यह नियम बदल दिया।

यह सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि रेलवे का यात्रियों के लिए सहानुभूति और सुरक्षा की ओर कदम है। रेलवे अब सिर्फ बर्थ अलॉटमेंट नहीं, बल्कि जरूरत और सुरक्षा की सोच पर काम कर रहा है।

अपनी पात्रता जांचें

अगर आप सीनियर सिटीजन, दिव्यांग या 45+ महिला हैं:
✅ टिकट बुक करते समय सही उम्र दर्ज करें।
✅ दिव्यांग हैं तो प्रमाण-पत्र रखें।
✅ बर्थ प्रेफरेंस न डालें, तब भी सिस्टम खुद लोअर बर्थ देगा।

कोई परेशानी हो, तो रेलवे हेल्पलाइन 139 या स्टेशन हेल्प डेस्क पर संपर्क करें।


रेलवे की नई सोच

रेलवे अब सिर्फ टिकट बेचने में नहीं, बल्कि यात्रियों की असल जरूरतें समझने में दिलचस्पी रखता है। लोअर बर्थ का यह नया सिस्टम उसी का सबूत है। लेकिन याद रखिए, अब लोअर बर्थ पाने के लिए आपको पहले से बेहतर प्लानिंग करनी होगी।

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