झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 से 16 किलोमीटर दूरी पर स्थित रत्नगर्भा नाम से आदिवासी क्षेत्र से स्वर्णरेखा नाम की नदी बहकर निकलती है। इसके पानी के साथ सोना बहता है, इसलिए इस नदी का नाम भी स्वर्णरेखा नदी (Swarna Rekha River) पड़ गया है। इस इलाके में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका का मुख्य स्त्रोत यही नदी है। वे सुबह भोर होते ही इस नदी में जाते हैं और दिनभर रेट छानकर सोने के कण इकट्ठा करते हैं। इस काम को वे कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। तमाड़ और सारंडा जैसे इलाके ऐसे हैं जहां पुरुष, महिलाएं और बच्चे सुबह उठकर नदी से सोना इकट्ठा करने जाते हैं।