देश में पहली बार होगी महिला को फांसी, राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका

मथुरा / आगरा

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महिला ने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों की कर दी थी हत्या


देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी। इस महिला ने परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी थी। 15 जुलाई, 2010 को ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी बरकरार रखी। इसके बाद उसकी ओर से राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाई गई। राष्ट्रपति ने 15 फरवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। दोषी महिला को मथुरा की महिला जेल में फांसी घर में लटकाया जाएगा। अभी इसकी फांसी की तिथि तय नहीं है। फ़िलहाल फांसी घर की मरम्मत और फंदे की रस्सी का ऑर्डर दिया जा चुका है। महिला के साथ उसके प्रेमी सलीम को भी फांसी पर चढाया जाएगा। 

यह था मामला 
15 अप्रैल 2008 को अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की निवासी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के साथ ही अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया। इसके बाद अर्श को छोड़कर अन्य को कुल्हाड़ी से काट डाला था। शबनम ने अर्श का गला घोंट कर मार डाला था। शबनम अभी रामपुर जेल में और  उसका प्रेमी आगरा जेल में है। शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी को तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम से मिलकर पूरे परिवार की हत्या कर दी। 

अमरोहा जिले की ट्रायल कोर्ट ने  15 जुलाई 2010 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी बरकरार रखी। शबनम ने बेटे का हवाला देते हुए माफी की मांग की थी। 2015 सितंबर में राज्यपाल ने शबनम की दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने भी 15 फरवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी।

जेल में ही दिया  बेटे को जन्म
शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। बेटा जेल में पला और बढ़ा। बेटा 15 जुलाई 2015 को जेल से बाहर आया। इसके बाद शबनम ने बेटे को अपने कॉलेज फ्रेंड उस्मान सैफी और उसकी पत्नी को सौंप दिया था।





 

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