सामाजिक समरसता की मिसाल साबित हो रहे सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन

जयपुर

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सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन सामाजिक समरसता की मिसाल साबित हो रहे हैं। एक स्थान पर अलग अलग जातियों व वर्गों के वर वधुओं का एक साथ विवाह वह भी नाम मात्र के खर्चे पर – वास्तव में एक अनुकरणीय प्रयास है। सुखद, साहसिक व सकारात्मक परिवर्तन के लिए कृत संकल्पित संस्थाएं इसमें आगे आ रही हैं। जिनमें एक नाम है सेवा भारती का। सेवा भारती को इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवी संस्था का सम्मान भी मिला है। हर आपदा में देश व समाज के साथ सबसे आगे खड़ी रहने वाली यह स्वयंसेवी संस्था गरीब व वंचित समाज के आत्म सम्मान को बनाए रखते हुए नाम मात्र के पंजीयन शुल्क में उनकी बेटियों के हाथ पीले कराने में भी सहायता कर रही है।

16 फरवरी को बसंत पंचमी के अबूझ सावे पर ऐसा ही एक कार्यक्रम सेवा भारती की ओर से जयपुर के आदर्श विद्या मंदिर में हुआ। जिसमें कुल 18 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। इनमें कीर, महावर, कोली, अग्रवाल आदि 9 समाजों के वर वधू वैवाहिक सूत्र में बंधे। इनमें सात जोड़ों का विवाह अंतरजातीय था।

सेवा भारती दस साल से कर रही सामूहिक विवाह सम्मेलन
सेवा भारती की ओर से पिछले दस वर्षों से श्रीराम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। राजस्थान में 2010 में भवानी मंडी में पहले सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें 13 जोड़े विवाह सूत्र में बंधे थे। तब से यह सिलसिला अनवरत जारी है। आज ऐसे समारोह भवानी मंडी के साथ ही जयपुर, भरतपुर, अलवर, जोधपुर, कोटा व छीपा बड़ौद आदि में भी होने लगे हैं। सेवा भारती की पहल से 2010 से 2020 तक 1980 जोड़े परिणय सूत्र में बंध चुके हैं। सेवा भारती की यह पहल सभी समाजों व वर्गों के लिए वरदान साबित हो सकती

इन सम्मेलनों को गरीब या वंचित समाज से ही जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि पैसे वाले लोगों को भी इसे अपनाना चाहिए। इससे गरीब अमीर का भेद तो मिटेगा ही सामाजिक समरसता की भावना भी बढ़ेगी। ऐसे आयोजनों से सजावट, मनोरंजन, भोजन आदि पर होने वाले खर्चों को कम किया जा सकता है।





 

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