फर्जी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त, FIR कराने के आदेश, बीएड की फर्जी डिग्री पर कर रहे थे नौकरी

लखनऊ

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हाईकोर्ट की ओर से डिग्री को फर्जी करार देने के बाद 812 शिक्षकों की सेवाएं  समाप्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश भी दे दिए गए हैं। ये सभी शिक्षक उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा की वर्ष 2005 की फर्जी और टेम्पर्ड (कूटरचित) बीएड की डिग्री पर नौकरी कर रहे थे। इन शिक्षकों से रिकवरी की कार्रवाई नहीं की जाएगी।

पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग 201 शिक्षकों की सेवा समाप्त और 199 के खिलाफ एफआईआर करा चुका है। 13 अभ्यर्थियों के खिलाफ रिकवरी की भी कार्रवाई की गई है। एसआईटी जांच में 1356 फर्जी/कूटरचित डिग्री वाले अभ्यर्थी चिह्नित हुए थे इनमें से 1140 शिक्षकों का वेतन विभाग ने पहले ही रोक दिया था।

इन शिक्षकों का आगरा विश्वविद्यालय की बीएड डिग्री के आधार पर चयन हुआ था, पिछले दिनों हाई कोर्ट ने उनकी डिग्री को फर्जी करार दिया था। परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि नियमानुसार कार्रवाई करें। साथ ही यदि इन शिक्षकों का दूसरे जिले में स्थानांतरण हो गया है तो संबंधित बीएसए को सूचित करें। इसमें कहा गया है कि दो अभ्यर्थियों अनीता मौर्या पुत्री भोला सिंह टीआरके कालेज अलीगढ़ व विजय सिंह पुत्र हरि सिंह केआरटीटी कालेज मथुरा को छोड़कर अन्य 812 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने की पुष्टि की गई है। जिलों में कार्यरत इन शिक्षकों को चिन्हित करके नियमानुसार सेवा समाप्ति व एफआइआर की कार्रवाई की जाए।

सात अभ्यर्थी एक माह तक दे सकेंगे सेवा
हाई कोर्ट ने सात अभ्यर्थियों के संबंध में उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर यूनिवर्सिटी व राज्य को आदेश की तारीख से एक माह का समय पुनर्विचार के लिए दिया है। इनमें सुरेंद्र कुमार पुत्र मंजू लाल, राजीव सिंह यादव पुत्र राम लदित यादव, संदीप कुमार पुत्र अजय पाल सिंह, रीता गौतम पुत्री श्रीराम गौतम, रीता यादव पुत्री जानकी लाल यादव, अनिरुद्ध पुत्री राजेंद्र सिंह व रेखा लवनिया पुत्री विजेंद्र सिंह की सेवा एक माह तक जारी रहेगी।

बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने लिखा है कि जिन अभ्यर्थियों के अंकपत्र में कूटरचना की गई है, के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश की तारीख से चार माह का समय निर्णय लेने के लिए दिया गया है। यदि किसी यूनिवर्सिटी की ओर से किसी अभ्यर्थी के अंकपत्र को टेंपर्ड घोषित किया जाता है तो ऐसे अभ्यर्थियों की सेवा समाप्ति यूनिवर्सिटी की ओर से पारित आदेश की तारीख से मान्य होगी। इसलिए टेंपर्ड श्रेणी के चिन्हित अभ्यर्थियों की सेवा यूनिवर्सिटी से निर्णय आने तक से चार माह तक के अधीन रखी जाएगी।






 

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