Story in Depth: गहलोत सरकार ने खोले हायर एजूकेशन को रसातल में पहुंचाने के द्वार, राजस्थान के हजारों युवाओं का स्थाई प्रोफ़ेसर बनने का सपना टूटा

जयपुर 

राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रदेश में हायर एजूकेशन को रसातल में पहुंचाने के द्वार खोल दिए हैं। सोसायटी के जरिए जिन 163 नए कॉलेज के लिए टर्म्स एन्ड कंडीशन रखी गईं हैं उससे तो यही लग रहा। ये कंडीशन ऐसी हैं जिनसे हायर एजूकेशन में जाने का सपना देखने वाले हजारों युवाओं को एक बड़ा झटका लगने वाला है। केंद्र की अग्निवीर योजना के खिलाफ जानी वाली गहलोत सरकार ने प्रदेश में हायर एजूकेशन में नौकरी करने की तैयारी कर रहे युवाओं को तदर्थवाद के मकड़जाल में धकेल दिया है। सरकार ने इस आदेश में भविष्य में उच्च शिक्षा के निजीकरण करने के साफ़ संकेत भी दे दिए हैं।

हाल ही में राजस्थान सरकार ने 163 नए कॉलेज के लिए टर्म्स एन्ड कंडीशन के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए हैं; उनकी स्टडी करने पर यह बात सामने आई है कि इस हिसाब से राजस्थान के युवाओं का कॉलेज में स्थाई प्रोफ़ेसर बनने का सपना शायद ही कभी पूरा हो पाएगा। प्रदेश में खोले गए ये नए कॉलेज सोसायटी के अधीन चलेंगे । राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ग्रुप- 3 के आदेश के बिंदु क्रमांक तीन में यह साफ़ जिक्र किया गया है कि इन कॉलेज में संविदा के आधार पर नियुक्ति होगी और भविष्य में भी सभी कॉलेज इसी तरह खोले जाएंगे। यानी राजस्थान में युवाओं के लिए स्थाई प्रोफ़ेसर बनने के सभी रास्ते पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं।

प्रदेश में सोसायटी के अधीन चलने वाले इन नए कॉलेज में प्रशासनिक ढांचा ऐसा बनाया गया है कि राज्य में हायर एजूकेशन का रसातल में जाना तय है। इसकी सोसायटी में सिर्फ एक शिक्षाविद होगा। बाकी इसमें प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे। स्थाई कर्मचारी के नाम पर इन कॉलेज में एक प्रिंसिपल ही होगा। बाकी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी संविदा के आधार पर नियुक्त किए जाएंगे। जिन पर सत्र के अंत में हमेशा तलवार लटकी रहेगी।

हायर एजूकेशन के निजीकरण का रास्ता साफ़
उच्च शिक्षा विभाग के जारी आदेशों के बिंदु संख्या सात के अनुसार तो राज्य में हायर एजूकेशन के निजीकरण का रास्ता साफ़ कर दिया गया है। आपको यहां यह भी बताते चलें कि राजस्थान सरकार अब हायर एजूकेशन में जो फॉर्मूला अपनाने जा रही है वह इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी लागू किया गया था जो बाद में फेल साबित हुआ। अब फिर वही प्रयोग दोहराया जा रहा है।

गहलोत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में 2010 में अनुदानित संस्थाओं का अनुदान बंद कर उनके सात सौ से अधिक कॉलेज शिक्षकों को राजकीय सेवा में लिया था और उन संस्थाओं की हजारों करोड़ की प्रापर्टी को निजी संस्थाओं को ही सौंप दिया था। अब वही सरकार एक बार फिर दुबारा अनुदान व्यवस्था लागू करना चाह रही है। उच्च शिक्षा विभाग के जारी आदेश के बिंदु क्रमांक पांच में इसके संकेत मिल रहे हैं। इसमें ग्रांट और फंडिग का जिक्र किया गया है।

नई व्यवस्था युवाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा राष्ट्रीय) के प्रदेश अध्यक्ष डा. दीपक कुमार शर्मा ने कहा है कि हर सत्र में युवाओं को तदर्थ आधार पर संविदा पर रखना, सत्र समाप्ति पर निकाल देना; यह युवाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है। इससे राजस्थान का युवा स्थाई नियुक्ति का बाट जोहते हुए ओवरएज हो जाएगा और फिर वह कहीं का नहीं रहेगा। वहीं राज्य में लागू होने वाली इस दोहरी व्यवस्था से गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा उपलब्ध होना एक सपना बनकर रह जाएगा। नीचे देखिए उच्च शिक्षा विभाग के आदेश:

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