डिजिटल युग में सतत वित्त की आवश्यकता पर जोर: डॉ. मीनू माहेश्वरी का राष्ट्रीय सेमिनार में उद्बोधन

रानीगंज 

रानीगंज, पश्चिम बंगाल के त्रिवेणी देवी कॉलेज द्वारा “सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन द एज ऑफ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार (19-20 मार्च) में कोटा विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंध विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मीनू माहेश्वरी मुख्य वक्ता रहीं। उन्होंने “सस्टेनेबल फाइनेंस” पर अपना प्रभावशाली उद्बोधन दिया और वैश्विक वित्तीय रणनीतियों में पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

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डॉ. माहेश्वरी ने बताया कि सतत वित्त (Sustainable Finance) के अंतर्गत दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि के लिए वित्तीय निर्णयों में पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) तत्वों को प्राथमिकता दी जाती है। जलवायु परिवर्तन, निवेशकों और उपभोक्ताओं की मांग, आर्थिक स्थिरता और सरकारी नीतियों में बदलाव के कारण इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।

🔹 पर्यावरणीय कारक – जल, ऊर्जा, जैव विविधता और कार्बन उत्सर्जन का प्रभावी प्रबंधन
🔹 सामाजिक कारक – समान अवसर, मानव अधिकार, उपभोक्ता संरक्षण और उत्पाद उत्तरदायित्व
🔹 गवर्नेंस कारक – व्यावसायिक नैतिकता, स्वतंत्र निदेशक मंडल और शेयरहोल्डर लोकतंत्र

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ग्रीन बांड्स और सतत निवेश की बढ़ती प्रवृत्ति
डॉ. माहेश्वरी ने ग्रीन बांड्स, सस्टेनेबल डेट, ग्रीन लोन और ESG निवेश उत्पादों के बढ़ते बाजार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वित्तीय संस्थान अब पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए निवेश रणनीतियां बना रहे हैं और सरकारें भी ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा दे रही हैं।

वित्तीय संस्थानों और सरकार की भूमिका
उन्होंने बताया कि वित्तीय संस्थान अब ग्रीन लोन और ESG-आधारित वित्तीय उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि सरकारें कर छूट और सब्सिडी के माध्यम से सतत निवेश को प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके अलावा, कंपनियों के वार्षिक वित्तीय विवरणों में ESG पहलुओं को शामिल करना अनिवार्य किया जा रहा है।

शिक्षा में सतत वित्त की अनिवार्यता
डॉ. माहेश्वरी ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में ESG और सतत वित्तीय प्रबंधन को शामिल करने पर जोर दिया, ताकि आने वाली पीढ़ी इस दिशा में सशक्त योगदान दे सके।

अंत में, उन्होंने संस्थागत निवेशकों और एसेट मैनेजरों को सतत वित्त को अपनाने का आह्वान किया, जिससे वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता, पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा मिल सके।

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