अजमेर
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) (राजस्थान उच्च शिक्षा) द्वारा “परिवार में संवाद से संस्कार” विषय पर एक प्रबुद्धजन संगोष्ठी का आयोजन सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के महात्मा गांधी सभागार में किया गया। संगोष्ठी में परिवार की भूमिका, संवाद की महत्ता और संस्कारों के संरक्षण पर विचार-विमर्श हुआ।
संवाद से संस्कार की नींव मजबूत होती है – प्रो. नारायण लाल गुप्ता
कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने की। उन्होंने अपने उद्घाटन संबोधन में कुटुंब प्रबोधन को वर्तमान समय की पहली आवश्यकता बताया। उन्होंने महासंघ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह संगठन शिक्षा, शिक्षक और समाज के हित में निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि महासंघ ने 29 राज्यों में 13 लाख से अधिक शिक्षकों के माध्यम से शिक्षा और संस्कारों के समन्वय की परंपरा को आगे बढ़ाया है।
संवादहीनता से बचे परिवार – हनुमान सिंह राठौड़
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध चिंतक एवं लेखक हनुमान सिंह राठौड़ ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में परिवार को समाज की नींव बताते हुए कहा कि “परिवार में भी समुद्र मंथन की प्रक्रिया चलती रहती है, जिसमें अमृत के साथ विष भी उत्पन्न हो सकता है।” उन्होंने संवाद और संस्कार की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि “संवाद करें और संस्कारों से जुड़ें” यह आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवारों का स्वरूप भले ही बदल रहा हो, लेकिन तकनीक का उपयोग कर संवाद की परंपरा को जीवंत रखा जा सकता है।
संस्कारों के संरक्षण के लिए संवाद जरूरी – प्रो. मनोज कुमार बहरवाल
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. मनोज कुमार बहरवाल, अध्यक्ष, ABRSM राजस्थान (उच्च शिक्षा) ने कहा कि परिवार में संवाद से संस्कारों की नींव मजबूत होती है। उन्होंने इस तरह के आयोजनों को निरंतर करने पर जोर देते हुए घोषणा की कि “भविष्य में माता-पिता और बच्चों को जोड़ने के लिए संवाद आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें विद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थियों व अभिभावकों को साथ आमंत्रित किया जाएगा।”
श्रोताओं ने रखी अपनी चिंताएं, समाधान पर हुई चर्चा
संगोष्ठी के दौरान श्रोताओं ने परिवार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की और अपने विचार एवं चिंताओं को मुख्य वक्ता के समक्ष रखा। संवाद व संस्कारों को सुदृढ़ करने के उपायों पर सार्थक संवाद हुआ।
संगोष्ठी का संचालन डॉ. अनूप कुमार आत्रेय ने किया। कार्यक्रम के समापन पर प्रो. मनोज कुमार बहरवाल ने सभी प्रबुद्धजनों का आभार व्यक्त किया और इस प्रकार के आयोजनों को भविष्य में भी जारी रखने का संकल्प लिया।
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