नई दिल्ली
देश की न्यायपालिका के शीर्ष पद पर बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार ने भारत के अगले चीफ जस्टिस (CJI) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और परंपरा के मुताबिक अब उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी जाएगी। कानून मंत्रालय की ओर से यह औपचारिक पत्र जल्द ही संभावना है — जिसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के भीतर उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी।
प्रक्रिया ज्ञापन (MoP) के मुताबिक, भारत के प्रधान न्यायाधीश का चयन सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से किया जाता है, जिन्हें इस पद के लिए “उपयुक्त” माना जाए। सीजेआई सेवानिवृत्ति से करीब एक माह पहले अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजते हैं, ताकि शीर्ष पद का कार्यभार बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सके। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार हैं और उनका चयन लगभग तय माना जा रहा है। मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत, सीजेआई की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को दी जाती है, बशर्ते उन्हें इस पद के लिए योग्य माना जाए।
इस बार यह जिम्मेदारी न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के पास है, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार की चिट्ठी का इंतज़ार खत्म होने वाला है — और सबकी निगाहें अब न्यायमूर्ति सूर्यकांत पर टिक गई हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
हरियाणा के हिसार में 10 फरवरी 1962 को जन्मे जस्टिस सूर्यकांत एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने और अब वे 24 नवंबर 2025 को भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाल सकते हैं। उनका कार्यकाल लगभग 15 महीने का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा।
दो दशकों से अधिक लंबे न्यायिक अनुभव के साथ वे उन दुर्लभ न्यायाधीशों में शामिल हैं जिन्होंने संवैधानिक, सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों पर कई ऐतिहासिक फैसलों में भागीदारी निभाई है।
उनके चर्चित फैसले
- अनुच्छेद 370, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भ्रष्टाचार और लैंगिक समानता पर निर्णायक रुख।
- औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित करने वाली पीठ के सदस्य — जिससे सरकारों को मनमानी से रोका गया।
- बिहार मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आदेश।
- प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा में सुरक्षा चूक की जांच के लिए समिति गठित करने वाली पीठ के सदस्य।
- वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक वैधता देने का ऐतिहासिक निर्णय।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खोलने वाली सात सदस्यीय पीठ के हिस्से।
- पेगासस जासूसी प्रकरण में जांच पैनल गठित कर यह कहा — “राज्य को राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में फ्री पास नहीं मिल सकता।”
अगले सीजेआई की उलटी गिनती
अगर सबकुछ परंपरा के मुताबिक हुआ, तो नवंबर के अंत में न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उनके दौर से न्यायपालिका में संवैधानिक सक्रियता और जनसरोकारों की धार और तेज़ होने की उम्मीद है।
न्याय की चौखट पर अब बस एक दस्तख़त बाकी है — और देश अपनी अगली न्यायिक आवाज़ के उदय का इंतज़ार कर रहा है।
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