दिल्ली में CM और हुए पावरफुल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से LG का घटा कद | समझिए फैसले की बड़ी बातें

 नई दिल्ली 

दिल्ली में मुख्यमंत्री VS LG के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया और कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली के CM अब और पॉवरफुल हो गए हैं वही LG का कद घट गया है

आपको बता दें कि  केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में संसोधन किया था इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया कोर्ट ने इस मामले में 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था

सुप्रीम कोर्ट ये कहा 

  • अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा
  • चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती
  • उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी
  • पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा

क्या है GNCTD अधिनियम?
दिल्ली में विधान सभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 लागू है 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया थासंसोधन के तहत दिल्ली में सरकार के संचालन, कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे इसमें उपराज्यपाल को कुछ अतिरिक्त अधिकार दिए गए थे संशोधन के मुताबिक, चुनी हुई सरकार के लिए किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य किया गया था अधिनियम में कहा गया था,  ‘राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा  इसी वाक्य पर मूल रूप से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी

सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता हैइसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है

मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का
सीजेआई ने कहा, यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है? CJI  ने कहा, हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है सीजेआई ने कहा, NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम हैं  सीजेआई ने कहा, प्रशासन को GNCTD के संपूर्ण प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है नहीं तो निर्वाचित सरकार की शक्ति कमजोर हो जाएगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-  एलजी के पास  दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते ”एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती

केंद्र सरकार के पास अब क्या विकल्प?
केंद्र सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल कर सकता हैअगर रिव्यू पिटीशन पर भी सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो क्यूरेटिव याचिका भी दाखिल की जा सकती है इसके अलावा केंद्र के पास संसद में कानून लाकर इसे बदलने का विकल्प है हालांकि, इस कानून को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है

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