कोरोना से अनाथ बच्चों के लिए मोदी का बड़ा ऐलान: 10 लाख की मदद, फ्री शिक्षा, हेल्थ बीमा और मासिक भत्ता

नई दिल्ली 

देश में कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 29 मई को पीएम केयर फंड से कई बड़े ऐलान किए। कोरोना से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक में मोदी सरकार मदद करेगी। अब ऐसे अनाथ बच्चों को PM केयर्स फंड से 10 लाख रुपए की मदद दी जाएगी। उनकी पढ़ाई का खर्च भी इसी फंड से उठाया जाएगा। 18 साल की उम्र तक हर महीने आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके अलावा उनकी उम्र 23 साल होने पर भी 10 लाख रुपए की सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि कोरोना महामारी में माता-पिता गंवाने वाले बच्चों की ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत मदद की जाएगी। सरकार की ओर से अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी और उनका हेल्थ बीमा भी किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बच्चे भारत के भविष्य हैं और हम उनकी सुरक्षा और सहायता के लिए सब कुछ करेंगे। समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और एक उज्ज्वल भविष्य की आशा करें।

एजुकेशन लोन में भी मदद और इसका ब्याज पीएम केयर्स फंड करेगा वहन 
पीएमओ ने कहा कि कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों को 18 वर्ष होने पर मासिक भत्ता दिया जाएगा और 23 वर्ष होने पर पीएम केयर्स फंड से 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। उनकी मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। पीएमओ ने कहा कि कोरोना की वजह से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को 18 साल की अवधि तक पांच लाख का मुफ्त हेल्थ बीमा भी मिलेगा। साथ ही ऐसे बच्चों की उच्छ शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन दिलाने में मदद की जाएगी और इसका ब्याज पीएम केयर्स फंड से वहन किया जाएगा।
इन बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। इसका प्रीमियम PM केयर्स फंड से दिया जाएगा। हायर एजुकेशन के लिए अगर लोन लिया है तो उसमें राहत दी जाएगी। इस लोन का ब्याज भी इसी फंड से दिया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया था निर्देश
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यों को निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की जरूरतों की देखभाल राज्य सरकारें करें। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वह ऐसे बच्चों की शिनाख्त करें, जिन्होंने देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद या तो अपने माता-पिता या फिर कमाने वाले परिजन को खो दिया है।