पाली
कब्जाशुदा भूमि पर बिना रोक टोक मकान निर्माण चलने देने एवं भूमि को आबादी क्षेत्र में रूपान्तिरत करने के बदले एक सरपंच ने दलाल के जरिए परिवादियों से घूस में डेढ़ लाख रुपए मांगे। ACB की टीम ने इन दोनों दलालों को घूस लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से परिवादी से रिश्वत के रूप में लिए गए 80 हजार रुपए भी बरामद कर लिए। ACB ने इस मामले में सरपंच को भी हिरासत में लिया है। तीनों सा पूछताछ की जा रही है।
मामला पंचायत समिति रायपुर के प्रतापगढ़ का है। आरोप है कि प्रतापगढ़ सरपंच गुलाबसिंह रावत ने दलाल के जरिए कब्जाशुदा भूमि पर बिना रोक टोक मकान निर्माण चलने देने एवं भूमि को आबादी क्षेत्र में रूपान्तिरत करने के बदले दो परिवादियों से डेढ़ लाख रुपए मांगे थे। ACB ने शिकायत का सत्यापन कराया तो मामला सही निकला। इसके बाद ACB की टीम ने सरपंच के दो दलालों को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा तथा उनके कब्जे से रिश्वत के 80 हजार रुपए भी बरामद किए। मामले में एसीबी ने सरपंच को भी दस्तयाब किया।

यह था पूरा मामला
एसीबी पाली प्रथम के एएसपी नरपतचंद ने बताया कि रास थाना क्षेत्र के आम्बा (रायपुर) निवासी परिवादी कालूराम (25) पुत्र नाथूराम गुर्जर व सहपरिवादी सोहनलाल (21) पुत्र नाथूराम गुर्जर ने शिकायत की थी। परिवारी कालूराम गुर्जर ने बताया कि प्रतापगढ़ क्षेत्र में उनके तथा उनके भाईयों की कब्जाशुदा जमीन हैं। जिस पर मकान निर्माण कार्य बिना किसी रोक टोक के चलने देने एवं उक्त भूमि को आबादी क्षेत्र में रूपान्तरित करने के बदले में प्रतापगढ़ सरपंच गुलाबसिंह रावत ने दोनों परिवादियों से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत के रूप में मांगे। आखिर में सौदा एक लाख 35 हजार रुपए में तय हुआ।
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शिकायत का 19 अप्रेल को सत्यापन करवाया गया। मामला सही पाए जाने पर एसीबी ने अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया। 28 मई को सरपंच ने परिवादी को कॉल कर रिश्वत की राशि अपने परिचित महेन्द्र रावत को देने को कहा। जिस पर शनिवार को दोनों परिवादी रिश्वत की पहली किश्त के रूप में 80 हजार रुपए महेन्द्र सिंह रावत व उसके साथी सोनूसिंह रावत को दिए। दलालों को एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा तथा सोनूसिंह की पेंट की जेब से रिश्वत की राशि बरामद की।